जानिए गुरु की सबसे बड़ी सीख..
गुरु यानी टीचर हमें साधारण से असाधारण बनाते हैं। समझ व ज्ञान को तराशते हैं। प्रेरणा और मार्गदर्शन देकर नई राह पर चलना सिखाते हैं। जानें, गुरु की सबसे बड़ी सीख.. एक लक्ष्य किसी भी फील्ड में आगे बढ़ने के लिए एक लक्ष्य का होना जरूरी है। लक्ष्य है, तभी हम एकाग्र होकर
By Edited By: Updated: Fri, 05 Sep 2014 12:02 PM (IST)
गुरु यानी टीचर हमें साधारण से असाधारण बनाते हैं। समझ व ज्ञान को तराशते हैं। प्रेरणा और मार्गदर्शन देकर नई राह पर चलना सिखाते हैं। जानें, गुरु की सबसे बड़ी सीख..
एक लक्ष्यकिसी भी फील्ड में आगे बढ़ने के लिए एक लक्ष्य का होना जरूरी है। लक्ष्य है, तभी हम एकाग्र होकर काम कर सकते हैं। यदि आपने अब तक लक्ष्य नहीं बनाया है, तो आज ही इसे निर्धारित कर लें। इसके बाद छोटे-छोटे पड़ाव बनाएं और उन्हें पूरा करने की कोशिश करें। याद रखें, ऐसा करके लक्ष्य बड़ा या कठिन नहीं लगेगा। आप आसानी से आगे बढ़ सकते हैं। पूर्ण समर्पण
लक्ष्य तभी पूरा होगा, जब काम के प्रति समर्पण होगा। समर्पण होना अनिवार्य शर्त है। इसके अभाव में किसी तरह कामयाबी मिल भी गई, तो दूरगामी परिणाम अच्छा नहीं होगा, यह तय है। विश्वास की शक्ति
न केवल खुद पर, बल्कि अपने शिक्षकों पर भी भरोसा होना जरूरी है। इससे न केवल आप जल्दी सीखेंगे, बल्कि अपने क्षेत्र में अलग पहचान बनाने की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ सकेंगे। जुनून जरूरी हैयह महामंत्र है। बस अपने लक्ष्य के बारे में सोचना और बाधाओं की परवाह किए बगैर निरंतर आगे बढ़ना ही जुनून है। आज के द्रोणाचार्य कुश्ती में खास परफॉर्मेस के लिए इन्हें इस साल द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया गया है। ये ग्रीको रोमन कुश्ती के माहिर माने जाते हैं। इन्होंने देश-दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाले अनिल कुमार, सुशील कुमार राणा, धर्मेद्र दलाल, कृपाशंकर जैसे कुश्ती खिलाडिय़ों को प्रशिक्षित किया है। इनके शिष्य सुशील को इस साल अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा गया है। ये जूडो कोच हैं। यह पहला मौका है, जब किसी जूडो कोच को द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाजा गया है। गोगी ने अपने दो दशक के करियर में कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी दिए हैं, जैसे-संदीप बयाला, पूनम चोपड़ा, नरेंद्र सिंह, यशपाल सोलंकी आदि। इन सभी खिलाडिय़ों को अर्जुन पुरस्कार मिल चुका है। (प्रस्तुति :सीमा झा)