मुसीबत में कि मदद
एक बार मैं अपनी मम्मी के साथ लोकल ट्रेन से यात्रा कर रहा था। ट्रेन में काफी भीड़ थी, लेकिन किसी तरह एक बोगी में दरवाजे के पास ही सीट मिल गई। तभी मैंने देखा कि एक गरीब लड़का टोकरी में केले लेकर मेरी बोगी की तरफ आ रहा है।
By Babita kashyapEdited By: Updated: Fri, 19 Jun 2015 03:40 PM (IST)
एक बार मैं अपनी मम्मी के साथ लोकल ट्रेन से यात्रा कर रहा था। ट्रेन में काफी भीड़ थी, लेकिन किसी तरह एक बोगी में दरवाजे के पास ही सीट मिल गई। तभी मैंने देखा कि एक गरीब लड़का टोकरी में केले लेकर मेरी बोगी की तरफ आ रहा है। अचानक ट्रेन चल दी और उसने दौड़कर सबसे पहले अपनी टोकरी मेरी बोगी के दरवाजे पर रख दी। लेकिन ट्रेन स्पीड पकड़ चुकी और सामने टोकरी होने की वजह से केले बेचने वाला लड़का मेरी बोगी में चढ़ नहीं पाया। वह शायद किसी और बोगी में चढ़ गया था।
उसकी केले से भरी टोकरी दरवाजे के पास ही पड़ी थी। इस बीच मेरी बोगी का एक लड़का बिना मालिक के टोकरी देख, उसमें से केले निकालकर खाने लगा। वह ऐसे खुश होकर जल्दी-जल्दी केले खा रहा था, जैसे उसकी लॉटरी लग गई हो। उसको देख उसके कई और दोस्त केलों पर टूट पड़े। ट्रेन के अगले स्टॉपेज पर रुकते-रुकते वे लोग टोकरी के आठ-दस दर्जन केले चट कर चुके थे। इसके बाद वे वहां से हट गए। ट्रेन रुकने पर टोकरी का मालिक लड़का दौड़कर मेरी बोगी में आया।अपनी टोकरी की हालत देख वह सन्न रह गया और फूट-फूट कर रोने लगा। वह किसी पर इल्जाम भी नहीं लगा सकता था, क्योंकि उसने किसी को केले खाते नहीं देखा था। ट्रेन चल चुकी थी। वह
बेहद गरीब लड़का था और इतना नुकसान उसके लए बड़ी बात थी, शायद इसीलिए रो रहा था। मुझे उस पर काफी तरस आया। उन लड़कों पर गुस्सा भी आ रहा था, जिन्होंने उसके केले खाए थे। मेरे दिमागमें ख्याल आया कि क्यों न केले बेचने वाले लड़के की मदद की जाए। मैंने मम्मी से यह बात बताई और उनसे दस रुपये मांगे तो वे पहले तो थोड़ा हिचकीं, लेकिन फिर उन्होंने पैसे दे दिए। मैंने और यात्रियों को
यह बात बताई और सबको इसके लिए राजी करने की कोशिश की कि गरीब लड़के की मदद करनी चाहिए। किसी ने दस रुपये दिए तो किसी ने बीस, यहां तक कि केले खाने वाले लड़कों में से भी कुछ नेशर्मिंदा होकर दस-दस के नोट निकाल दिए।मेरे पास कुल मिलाकर दो सौ रुपये जमा हो गए थे। मैंने जाकर उस गरीब लड़के को दिए तो उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। उसने मुझे बहुत धन्यवाद दिया। मम्मी सहित अन्य सभी यात्रियों ने मुझे शाबाशी दी। सच है दोस्तो, मुसीबत में फंसे व्यक्ति की मदद करने की खुशी ही अलग होती है...अमन कुमारसरिस्ताबाद, पटना