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जानिए क्या है जीरो ग्रैविटी?

चार दशक पहले एस्ट्रोनॉमर पैट्रिक मूर द्वारा दी गई थ्योरी के मुताबिक, कल यानी 4 जनवरी को पृथ्वी पर जीरो ग्रैविटी की बात की जा रही है, इसे लेकर सस्पेंस बना हुआ है। क्या है जीरो ग्रैविटी? आओ जानें इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें.. जोवियन प्लूटोनियन ग्रैविटेशनल इफेक्ट

By Edited By: Updated: Fri, 03 Jan 2014 12:12 PM (IST)
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चार दशक पहले एस्ट्रोनॉमर पैट्रिक मूर द्वारा दी गई थ्योरी के मुताबिक, कल यानी 4 जनवरी को पृथ्वी पर जीरो ग्रैविटी की बात की जा रही है, इसे लेकर सस्पेंस बना हुआ है। क्या है जीरो ग्रैविटी? आओ जानें इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें..

जोवियन प्लूटोनियन ग्रैविटेशनल इफेक्ट

हमारे सौरमंडल का ग्रह प्लूटो 4 जनवरी को सुबह 9 बजकर 47 मिनट पर धरती के सापेक्ष जुपिटर के पीछे से गुजरेगा। इसके मुताबिक, तीनों ग्रहों के एक सीध में होने की इस दुर्लभ घटना के तहत जुपिटर और प्लूटो के संयुक्त गुरुत्वाकर्षण से धरती की ग्रैविटी पर भी प्रभाव पड़ेगा, जिसकी वजह से लोगों के भारहीन होने की बात की जा रही है। पैट्रिक मूर की इस थ्योरी के मुताबिक, इस स्थिति को 'जोवियन प्लूटोनियन ग्रेविटेशनल इफेक्ट' कहते हैं।

जीरो ग्रैविटी क्या है?

इस टर्म को माइक्रोग्रैविटी भी कहा जाता है। दोस्तो, दो वस्तुओं के बीच की दूरी जितनी कम होगी, गुरुत्वाकर्षण उतना ही ज्यादा होगा। इसके विपरीत एक-दूसरे से जितनी अधिक दूरी होगी, गुरुत्वाकर्षण बल कम होता जाएगा। इसलिए आकाश की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद गुरुत्वाकर्षण कम होता जाता है। अंतत: अंतरिक्ष में पहुंचकर यह शून्य हो जाता है। इसे ही 'भारहीनता' यानी जीरो ग्रेविटी भी कहते हैं। भारहीनता की स्थिति में इंसान भार महसूस नहीं करता। इसलिए अंतरिक्ष यात्री और उनके द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली वस्तुएं अंतरिक्ष में तैरने लगती हैं।

-न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के अनुसार, दो वस्तुओं के बीच एक आकर्षण बल कार्य करता है। यदि इनमें से एक वस्तु पृथ्वी पर हो तो इस आकर्षण बल को 'गुरुत्व' या 'ग्रैविटी' कहते हैं।

-किसी वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वीय बल ही उसका भार कहलाता है।

-सबसे पहले आर्यभ˜ ने बताया कि पृथ्वी सभी वस्तुओं को अपनी ओर खींचती है।

जीरो ग्रैविटी के खतरे!

भारहीनता की स्थिति में हृदय, मांसपेशियों तथा अस्थियों में असामान्य क्रियाएं होने लगती हैं। भारहीनता के कारण ब्लड सर्कुलेशन पैरों से सीने की शिराओं की ओर होने लगता है, जिससे शरीर में रक्त और पानी की मात्रा में 7 से 15 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है। हालांकि अंतरिक्ष यान में वातावरण के ताप, दाब और नमी को इस प्रकार नियंत्रित किया जाता है कि अंतरिक्ष यात्री यह महसूस करे कि वह पृथ्वी के वातावरण में ही है। लेकिन अनेक बार उसे बहुत उच्च व बहुत निम्न ताप का सामना करना पड़ता है।

बेड रेस्ट से लाखो कमाई!

नासा ने हाल ही में 70 दिन बिस्तर पर लेटे रहने के लिए 5,000 डॉलर यानी करीब सवा तीन लाख रुपये देने की घोषणा की है। इसे 'बेड रेस्ट स्टडी' का नाम दिया गया है। इस दौरान 70 लोगों को 70 दिन तक बिस्तर पर लिटाए रखा जाएगा। यह शोध अंतरिक्ष यात्रियों की भारहीनता की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इससे वे यह पता लगाया जा सकेगा कि भविष्य में स्पेस फ्लाइट के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर में भारहीनता से क्या-क्या बदलाव आएगा।

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