नेशनल पलूशन कंट्रोल डे
दोस्तो, प्रदूषण हमारी धरती के लिए साइलेंट किलर के समान है। अगर हम मिलकर पलूशन कंट्रोल की दिशा में कदम उठाएं, तो धरती का तापमान बढ़ने, नदियों के सूखने, जंगल को बंजर भूमि में तब्दील होने, ग्लेशियर को पिघलने और जीव-जंतुओं को समाप्त होने से बचाया जा सकता है.. देश म
By Edited By: Updated: Fri, 29 Nov 2013 01:21 PM (IST)
दोस्तो, प्रदूषण हमारी धरती के लिए साइलेंट किलर के समान है। अगर हम मिलकर पलूशन कंट्रोल की दिशा में कदम उठाएं, तो धरती का तापमान बढ़ने, नदियों के सूखने, जंगल को बंजर भूमि में तब्दील होने, ग्लेशियर को पिघलने और जीव-जंतुओं को समाप्त होने से बचाया जा सकता है..
देश में हर साल 2 दिसंबर को नेशनल पलूशन कंट्रोल डे उन लोगों की याद में मनाया जाता है, जो 2-3 दिसंबर, 1984 भोपाल गैस त्रासदी के शिकार हो गए थे। इस दिन मिथाइल आइसोसाइनेट गैस (मिक) के रिसाव की वजह से तकरीबन 3787 लोग मारे गए थे। इतना ही नहीं, लाखों लोग बुरी तरह से प्रभावित भी हुए थे। आज भी वहां के लोगों पर इसका असर साफ देखा जा सकता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को प्रदूषण नियंत्रण के प्रति जागरूक करना है। केंद्रीय नियंत्रण बोर्ड प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन सितंबर, 1974 में किया गया। केंद्रीय और राज्य नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु की गुणवत्ता बहाल करने के लिए वायु अधिनियम 1981 को लागू किया गया है। बोर्ड कार्य-योजना बनाने के साथ समय-समय पर प्रदूषण से संबंधित रिपोर्ट जारी करता है।
पलूशन का असर और सरकारी कदम ल् हर साल 14 अरब टन कचरा समुद्र में फेंक दिया जाता है, जिसमें अधिकतर पर्यावरण के लिए घातक प्लास्टिक होता है।
ल् हर साल एक लाख से अधिक समुद्री पक्षी और एक लाख समुद्री स्तनधारी प्रदूषण के कारण मारे जाते हैं। ल् चीन कार्बन डाइऑक्साइड का सबसे बड़ा उत्सर्जक है। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान आता है। ल् भूजल में 73 अलग-अलग तरह के पेस्टिसाइड (कीटनाशक) पाए जाते हैं, जो पीने के पानी का मुख्य स्रोत है। ल् नासा जब एक अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण करता है, तो करीब 28 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। एक औसत कार प्रतिमाह लगभग आधा टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करती है। ल् 2010 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और 13 बड़े शहरों में चार पहिया वाहनों के लिए स्टेज-4 उत्सर्जन नियम लागू किया गया। ल् प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए दिल्ली में सार्वजनिक वाहनों के लिए कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) का इस्तेमाल किया जा रहा है। ल् सरकार ने एक जुलाई 2010 से कोयला खदानों में क्लीन एनर्जी सेस लगाने का ऐलान किया, ताकि कार्बन फुटप्रिंट कम करने और दूषित जगह को स्वस्थ बनाने में मदद मिले। घर में टीवी और म्यूजिक प्लेयर की आवाज ज्यादा नहीं रखोगे। पटाखों का इस्तेमाल कम करोगे और कूड़ा-कचरा नहींजलाओगे, बल्कि उसे नियत स्थान पर डालोगे। नालों, कुओं, तालाबों, नदियों में गंदगी नहीं बहाओगे और पानी की हर एक बूंद को बचाकर रखोगे। प्लास्टिक की थैलियां आदि रास्ते में नहीं फेंकोगे।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर