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बढ़ेगा बच्चों में प्यार

भाई-बहनों के प्रति प्रतिस्पर्धा की ऐसी भावना को सिबलिंग राइवलरी कहा जाता है और यह बेहद स्वाभाविक है।

By Babita kashyapEdited By: Updated: Thu, 12 May 2016 03:42 PM (IST)
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मेरे दो बेटे हैं। उनकी उम्र क्रमश: 7 और 5 साल है। छोटी-छोटी चीजों को लेकर अकसर वे आपस में झगड़ते हैं। उन्हें हमेशा यही शिकायत रहती है कि मम्मी मुझसे ज्यादा मेरे भाई को प्यार करती हैं। मैं बहुत परेशान हूं। उनकी यह आदत कैसे सुधरेगी?

आपके दोनों बेटों के बीच मात्र दो साल का अंतर है। जाहिर है, जब छोटे बेटे का जन्म हुआ होगा तो आप उसकी देखभाल में व्यस्त हो गयी होंगी। इससे उसके बड़े भाई को आपकी ओर से वह प्यार और अटेंशन नहीं मिल पाया होगा, जो उसके लिए बेहद जरूरी था। जब दो बच्चों के बीच उम्र का इतना कम फासला हो तो दोनों पर समान

रूप से ध्यान दे पाना मुश्किल हो जाता है। अपने बेटों को इस समस्या से बचाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप सचेत रूप से उन दोनों के साथ बराबरी का व्यवहार करें। नए शिशु की देखभाल से जुड़ी एक्टिविटीज में अपने बड़े बच्चे को विशेष रूप से शामिल करें। छोटे भाई या बहन के साथ ज्यादा वक्त बिताने से उसके मन में स्वाभाविक रूप से अपनत्व की भावना विकसित होगी। रोजाना अपने बड़े बच्चे को गोद में बिठा कर उससे प्यार भरी बातें करना न भूलें। इससे वह खुद को उपेक्षित महसूस नहीं करेगा।

गिफ्ट देने के मामले में भेदभाव कभी न बरतें। किसी भी गलती के लिए सजा देते समय उसका कारण जरूर बताएं, ताकि बच्चे के मन में यह ख्याल न आए कि मम्मी सिर्फ मुझे डांटती हैं। अगर वे एक खिलौने के लिए लड़ते हैं, तो उन्हें समझाएं कि दोनों साथ मिलकर खेलें, वरना उनसे वह खिलौना छीन लिया जाएगा।

बच्चों में बातचीत की शैली इतनी विकसित नहीं होती कि वे अपनी भावनाएं खुल कर अभिव्यक्त कर सकें। जब भी भाई-बहनों के प्रति उनके मन में असंतोष होता है, तो वे जिद करने या रोने चिल्लाने जैसी हरकतें करते हैं। भाई-बहनों के प्रति प्रतिस्पर्धा की ऐसी भावना को सिबलिंग राइवलरी कहा जाता है और यह बेहद स्वाभाविक है। अगर उसे पॉजिटिव ढंग से देखा जाए तो इंसान के मन में यहीं से दूसरों की तरह खुद भी आगे बढ़ने की लालसा पैदा होती है, जो उसे कामयाबी दिलाने में मददगार होती है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि बच्चे का हर व्यवहार इसी भावना से प्रेरित न हो, अन्यथा वह ईष्र्यालु और चिड़चिड़ा हो जाएगा।

अगर इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो ऐसी समस्या को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

गगनदीप कौर

चाइल्ड एंड क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट