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इन टिप्स को अपनाएंगे तो सर्दियों में भी बेबी रहेगा हेल्दी

अगर आप बच्चे की सेहत पर ध्यान देती हैं तो आपका बेबी सर्दी के मौसम में भी हेल्दी रह सकता है...

By Babita kashyapEdited By: Updated: Sat, 05 Nov 2016 01:17 PM (IST)
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उत्तर भारत में सर्दी का मौसम दस्तक दे चुका है। घर-परिवार में अगर छोटे बच्चे हैं तो उनकी थोड़ी अतिरिक्त देखभाल करें। कारण, ठंड में बच्चों के शरीर का तापमान कम होने लगता है। सबसे खास बात यह है कि गर्म कपड़ा गर्मी नहीं पैदा करता, परंतु शरीर की गर्मी को अपने अंदर बनाए रखने में मदद करता है।

समुचित तापमान जरूरी

शरीर की आंतरिक बायोकेमिकल क्रियाओं को ठीक तरह से संचालित करने के लिए एक निश्चित तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेड की आवश्यकता होती है। इस तापमान के कम होने से शरीर की आंतरिक क्रियाएं सुचारु रूप से संचालित नहीं होतीं। इस कारण शरीर अस्वस्थ होने लगता है। इसके साथ ही शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) भी शिथिल होने लगता है।

तेल मालिश का महत्व

अपने देश में बच्चों की तेल-मालिश का चलन बहुत पुराना है। वैसे तो डॉक्टर तेल मालिश की सलाह नहीं देते, परंतु शरीर पर तेल मालिश करने से ठंड से बचत होती है। मालिश से त्वचा में मौजूद पानी वाष्पित नहीं होता और त्वचा मुलायम बनी रहती है। साथ ही शिशु के शरीर की गर्मी अंदर ही बनी रहती है। शिशु की मालिश के लिए सरसों, तिल या नारियल का ही इस्तेमाल करें। खुशबूदार और औषधियुक्त तेलों का इस्तेमाल न करें, इनसे एलर्जी हो सकती है। बच्चे के शरीर को गर्म रखने के साधन समुचित हैं या नहीं, यह बच्चे के शरीर के तापमान को देखकर समझा जा सकता है। अगर बच्चे के शरीर का तापमान 36 डिग्री सेंटीग्रेड के नीचे है तो समझ लेना चाहिए कि उसे गर्मी देने के उपायों को बढ़ाना है।

कपड़ों पर दें ध्यान

बच्चों के कपड़ों का चयन बहुत सावधानी पूर्वक करना चाहिए। सर्दी शुरू होते ही बाजार रंग-बिरंगे और आकर्षक कपड़ों से भर जाता है। हालांकि ऊनी दिखने वाले कपड़े एक्रेलिक के होते हैं गर्म नहीं। इसलिए हमेशा प्योर वूल या रुई से भरे कपड़े ही खरीदें वरना शिशु सर्दी से नहीं बच सकता। दादी-नानी के हाथ से बुने कपड़ों की प्यार भरी गर्मी कुछ ज्यादा ही सुखद होती है। सर्दी के दिनों में बच्चों का सिर और कान ढकना बहुत जरूरी है, इनके खुले होने पर बच्चों को बहुत जल्दी ठंड लग सकती है।

हाई कैलोरी की जरूरत

सर्दी के दिनों में शरीर में गर्मी पैदा करने के लिए अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। इसके लिए बहुत लंबे अर्से से बच्चों को देशी घी और मेवा का हलवा दिया जाता रहा है। ये दोनों ही खाद्य पदार्थ स्वास्थ्यकर व हाई कैलोरी युक्त होते हैं।

खतरों से बचाएं

जाड़े के मौसम में बच्चों में सर्दी-खांसी और निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है। जाड़े में प्रदूषित हवा का वातावरण में काफी नीचे रहना, रोग से लडऩे की क्षमता का कम होना और बंद कमरे में ओवर क्राउडिंग आदि सांस संबंधी रोगों के होने के मुख्य कारण हैं। ध्यान रहे कि ठंड से बीमारी नहीं पैदा होती, बीमारी इंफेक्शन यानी संक्रमण से होती है। कई बार हम ठंडी हवा से बचाने के चक्कर में बच्चों को ज्यादा बीमार कर लेते हैं। आजकल बच्चों में एक नई समस्या के मामले सामने आए हैं। वह है डायपर के अत्यधिक प्रयोग से बच्चे के यूरिनरी में इन्फेक्शन होना। इस भ्रम में कि बच्चों को ठंड लग जाएगी, मां रातभर बच्चे को डायपर में पैक कर देती हैं। जाहिर है कि बहुत लंबे समय तक डायपर में लिपटे बच्चे को इन्फेक्शन होगा ही।

वायरल डायरिया आदि से रहें सचेत

वैसे तो जाड़े में पेट के रोग कम होते हैं, परंतु कुछ बच्चे वायरल डायरिया और पीलिया की चपेट में आ जाते हैं। इसका कारण ठंड की वजह से हाथ और बर्तन ठीक से न धोना भी हो सकता है। हाथ धोने में आलस्य लगे तो हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसको सूखे हाथों पर ही लगाएं और अच्छे से रगड़ लें। दूसरा कारण जाड़ों में दावतों और शादियों का कुछ ज्यादा होना है। अगर कहीं ज्यादा भीड़ हो या खाने पीने की व्यवस्था में सफाई की कमी दिखे तो वहां खाना न खाएं।

बिस्तर का रखें ध्यान

जाड़े में पहनने, ओढऩे और बिछाने के कपड़े जल्दी नहीं बदले जाते हैं। इस स्थिति में त्वचा संबंधी समस्या होने की आशंका बढ़ जाती है। सर्दी के मौसम में स्केबीज नामक रोग ज्यादा होता है। इस मर्ज में शिशु अत्यधिक खुजली से परेशान हो जाते हैं। इससे बचाव के लिए कपड़ों को गरम पानी में नियमित तौर पर धोना चाहिए और जो कपड़े धुलने लायक न हो उन्हें प्लास्टिक की थैली में बंद कर तेज धूप में रख दें। इससे स्केबीज होने की आशंका कम हो जाती है।

डॉ. निखिल गुप्ता, शिशु व बालरोग विशेषज्ञ

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