Move to Jagran APP

भारत की सबसे पुरानी मिठाई है Malpua, ऐसे हुई इसे होली पर खाने की शुरुआत

हर कोई बेसब्री से होली का इंतजार कर रहा है। रंगों का यह त्योहार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल 25 मार्च को होली खेली जाएगी। होली के मौके पर ढेर सारे पकवान खाए जाते हैं। गुजिया और ठंडाई के अलावा इस त्योहार में मालपुआ खाने का भी चलन है। आइए जानते हैं क्यों होली पर खाया जाता है मालपुआ।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Published: Thu, 21 Mar 2024 04:39 PM (IST)Updated: Thu, 21 Mar 2024 04:39 PM (IST)
भारत की सबसे पुरानी मिठाई है Malpua, ऐसे हुई इसे होली पर खाने की शुरुआत
जानें कैसे हुई होली में मालपुआ खाने की शुरुआत

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। होली (Holi 2024) एक ऐसा त्योहार है, जिसका इंतजार सभी को बेसब्री से रहता है। यह हिंदू धर्म के सबसे अहम और बड़े त्योहारों में से एक है, जिसे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। रंगों का यह त्योहार अपने खानपान की वजह से भी काफी मशहूर है। होली का नाम आते ही लोगों के मन में सबसे पहले गुजिया और ठंडाई का ख्याल आता है। यह दोनों होली में बनाए जाने वाले अहम पकवानों में से एक हैं।

loksabha election banner

हालांकि, इन दोनों पकवानों के अलावा होली में एक और व्यंजन का स्वाद चखने को मिलता है। मालपुआ एक और ऐसा व्यंजन है, जिसे होली के बनाने का अपना अलग महत्व है। इसका नाम सुनते ही अक्सर लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। यह काफी हद तक पैपकेक की तरह होता है, जिसकी वजह से इसे पैनकेक का इंडियन वर्जन भी कहा जाता है। अगर आपको भी इसका स्वाद पसंद है, तो आज हम आपको बताएंगे इसका इतिहास और होली के साथ इसका कनेक्शन-

यह भी पढ़ें- तलकर नहीं पहले धूप में सुखाकर बनाई जाती थी 'गुजिया', हर साल होली पर बनने वाली इस डिश का है तुर्की कनेक्शन

सबसे पुरानी भारतीय मिठाई

बात करें इसके इतिहास की, तो मालपुआ भारत की सबसे पुरानी मिठाई मानी जाती है। इसके जिक्र करीब 3000 साल पुराने वैदिक युग में मिलता है। 1500 ईसा पूर्व के वैदिक साहित्य (ऋग्वेद) में इसका लगातार उल्लेख मिलता है। उस समय, इसे अपुपा के नाम से जाना जाता था, जिसे जौ के आटे से बनाया जाता था।

इसे बनाने के लिए सबसे पहले इसे पानी में उबाला जाता था, फिर देसी घी में डीप फ्राई किया जाता था और आखिर में शहद में डुबोया जाता था। उस समय इस व्यंजन को केवल 'प्रबुद्ध' आत्माओं को ही दिया जाता था।

राजपूत और मालपुआ का कनेक्शन

यह बात तो हर कोई जानता है कि हम भारतीयों को मीठा खाना बहुत पसंद है। राजपूत भी इससे अछूते नहीं थे। ऐसे में उन्होंने मीठा खाने के अपने इस शौक के चलते मालपुए के साथ प्रयोग करना शुरू कर दिया। इसके लिए उन्होंने जौ की जगह पर गेहूं और शहद की बजाय गन्ने के रस का इस्तेमाल किया, लेकिन इसके स्वाद में कोई बदलाव महसूस नहीं हुआ। ऐसे में उन्होंने मालपुए में गुड़, इलायची, काली मिर्च, अदरक मिलाकर इसे छोटे फ्लैट केक का आकार दिया।

साथ ही उन्होंने चीनी के दानों और घी से भरी एक टॉपिंग का भी इस्तेमाल किया। अपने इस प्रयोग के साथ ही राजपूतों ने स्टफ्ड मालपुआ या प्यूपालिक का आविष्कार किया और राजपूतों द्वारा खोजा गया मालपुए का यह स्वरूप होली का एक विशेष पकवान बन गया।

मालपुआ में बंगाली ट्विस्ट

राजपूतों की तरह बंगाली भी अपने प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं। अपनी इसी खासियत के चलते उन्होंने आटे में दूध मिलाया और फिर इस मिश्रण को डीप फ्राई किया। वास्तव में, वह बंगाली लोग ही थे, जिन्होंने इस व्यंजन में चाशनी का इस्तेमाल किया। वहीं, सिर्फ होली के दौरान इसे खाने के बजाय, बंगालियों ने इसे सर्दियों के दौरान ही खाना शुरू कर दिया था। दिलचस्प बात यह है कि मालपुआ नाम की उत्पत्ति बंगाल से हुई है और अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल गई है।

ओडिशा में मालपुआ बना अमालु

ओडिशा के पुरी स्थित विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में हर सुबह तरह-तरह के मालपुए परोसे जाते हैं। यहां पर इसे अमालू कहा जाता है और इसे देवता के लिए दिन का पहला पवित्र प्रसाद माना जाता है। अमालू गाढ़े दूध और बहुत कम चावल के आटे से बनाया जाता है। इसे अक्सर आम, केले या अनानास के साथ परोसा जाता है। फूड इतिहासकारों का मानना ​​है कि जब से जगन्नाथ मंदिर अस्तित्व में है, तब से ही यहां अमालू परोसा जाता रहा है।

यह भी पढ़ें- सबसे पहले भगवान शिव को अर्पित की गई थी ठंडाई, जानें क्या है इसे होली पर पीने का महत्व

Picture Courtesy: Freepik


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.