ट्रैकिंग है शौक तो जरा हरिहर फोर्ट की चढ़ाई चढ़ कर देखो
महाराष्ट्र में हरिहर किले तक पहुंचने के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक ट्रैक से गुजरना पड़ता है। यहां तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं है।
By molly.sethEdited By: Updated: Fri, 04 Aug 2017 11:36 AM (IST)
अनोखा है हरिहर फोर्ट
वैसे तो आपने हिंदुस्तान के बहुत से मशहूर किलों के बारे में पढ़ा सुना या उनमें से कुछ को घूमा होगा। इस बार हम आपसे कह रहे हैं कि वाकई आप एंडवेंचर और ट्रैकिंग के शौकीन हैं तो एक बार हर्षगढ़ किले या हरिहर किले की सैर के लिए आयें और जरा चढ़ कर दिखायें, क्योंकि इसकी कई जगह चढ़ाई 90 डिग्री सीधी है। देश के कई ऐतिहासिक किले से आपका परिचय हुआ होगा और उनकी कलात्मयकता देख आप आश्चईर्यचकित रह गए होंगे। मगर आपके लिए इस किले का सफर जितना खतरनाक होगा उतना ही रोमांचक भी। हर एक कदम पर आपकी सांसे थम-सी जाएंगी, मगर इसके साथ ही मंजिल तक पहुंचने की आपकी ख्वाहिश भी बढ़ती चली जाएगी।
खतरनाक है चढ़ाईयह किला खूबसूरत पहाड़ की चोटी पर स्थित है और यहां तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं है, क्योंकि इसकी चढ़ाई कई जगह एकदम ख्ाड़ी यानि 90 डिग्री की है। महाराष्ट्र के नासिक जिले में कसारा से 60 किमी. दूर एक पहाड़ है और इसकी चोटी पर स्थित किले को हर्षगढ़ किले या हरिहर किले के नाम से जाना जाता है। साथ ही इस किले की चढ़ाई को हिमालय के पर्वतारोहियों द्वारा दुनिया का सबसे खतरनाक ट्रैक माना जाता है। यह पहाड़ नीचे से चौकोर दिखाई देता है, मगर इसका शेप प्रिज्म जैसा है। यह दो तरफ से 90 डिग्री सीधा और तीसरी तरफ 75 की डिग्री पर है। वहीं किला 170 मीटर की ऊंचाई पर बना है। इस पर चढ़ने के लिए एक मीटर चौड़ी 117 सीढि़यां बनी हैं। ट्रैक चिमनी स्टाइल में है, लगभग 50 सीढि़यां चढ़ने के बाद मुख्य द्वार, महादरवाजा आता है, जो आज भी बहुत अच्छी स्थिति में है।
ऊपर पहुंच कर देखने को मिलता ये खास नजाराचढ़ने के बाद जब आप महादरवाजा पार कर लेते हैं तो आगे की सीढि़यां एक चट्टान के अंदर से होकर जाती हैं और यह आपको किले के शीर्ष पर पहुंचा देती हैं, जहां हनुमान और शिव के छोटे मंदिर हैं। वहीं मंदिर के पास एक छोटा तालाब भी है, जहां का पानी इतना साफ है कि पीया भी जा सकता है। यहां से आगे जाने पर दो कमरों का एक छोटा महल दिखता है, जिसमें 10-12 लोग रुक सकते हैं। अब यहां से दिखते हैं खूबसूरत नजारे जैसे बासगढ़ किला, उतावड़ पीक और ब्रह्मा हिल्स का खूबसूरत नजारा दिखता है। अगर मौसम साफ हो तो इसके दक्षिण में अवध-पट्टा, कालासुबई रेंज और उत्तर में सातमाला, शैलबारी रेंज भी दिखाई देती हैं। यह किला वैतर्ना रेंज पर बना है। ट्रैक पहाड़ के बेस में बने निरगुड़पाड़ा गांव से शुरु होती है, जो त्रियंबकेश्र्वर से 22 किमी. और नासिक से 45 किमी. दूरी पर स्थित है। इस पर सबसे पहले 1986 में डग स्कॉट (पर्वतारोही) ने ट्रैकिंग की थी, इसलिए इसे स्कॉटिश कड़ा कहते हैं। इसे पूरा करने में उन्हें दो दिन लगे थे।