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बंगाल ही नहीं यहां भी दिखते हैं रॉयल बंगाल टाइगर

उप चुनावों के परिणामों के साथ हम आपको ले चलते हैं आंध्र प्रदेश के नागार्जुन सागर श्रीशैलम बाघ रिज़र्व की सैर पर जहां पाये जाते हैं रॉयल बंगाल टाइगर।

By molly.sethEdited By: Updated: Mon, 28 Aug 2017 02:02 PM (IST)
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बंगाल ही नहीं यहां भी दिखते हैं रॉयल बंगाल टाइगर

भारत के सबसे बड़े टाइगर रिर्जव में से एक 

नागार्जुन सागर श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व भारत के सबसे बड़े बाघ आरक्षित क्षेत्र यानि रिज़र्व में से एक है। ये आंध्रप्रदेश में स्थित है और पांच जिलों, नालगोंडा, महबूबनगर, कुर्नूल, प्रकाशम और गुंटूर ज़िलों में फैला हुआ है। ये उन रिर्जव में से एक है जहां पश्‍चिम बंगाल के अलावा रॉयल बंगाल टाइगर के दीदार किए जा सकते हैं। इस का मुख्‍य हिस्‍सा करीब 3,568 स्‍क्‍वायर किलोमीटर में फैले जंगल के 1,200 स्‍क्‍वायर किलोमीटर भाग में है। 

तीर्थस्‍थल भी है ये

इस टाइगर रिर्जव की सैर करने आने वालों के लिए तीर्थयात्रा का भी सुअवसर बन सकता है क्‍योंकि नालामाला की पहाड़ियों पर स्‍थित ये स्‍थान एक पवित्र तीर्थस्‍थल भी है। यहां श्रीशैलम में भगवान मल्‍लिकार्जुन और देवी भररामम्बा का प्राचीन मंदिर भी स्‍थित है। देवी भररामम्बा माता पार्वती का ही अवतार मानी जाती हैं। ये मंदिर बारह ज्‍योर्तिलिंगों और आठ शक्‍तिपीठों में से एक है। 

श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व की कहानी

आधुनिक श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व 1983 में प्रोजेक्‍ट टाइगर अभियान के संरक्षित घोषित किया गया। आजादी से पहले इस रिजर्व का दक्षिणी आधा हिस्‍सा ततकालीन अंग्रेज सरकार द्वारा और उत्‍तरी आधा हिस्‍सा हैदराबाद के राजा के शासन में आता था जिन्‍होंने अपने और अपने मेहमानों के साथ शिकार का आनंद लेने के लिए इसे विकसित किया था। 1983 तक इस जंगल में करीब 40 बाघ थे जो अवैध शिकार के चलते काफी घट गई थी। संरक्षित घोषित होने के बाद साल 1989 में इनकी संख्‍या में बढोत्‍तरी हुई और ये 94 तक पहंच गई। बीते साल की गणना में इनकी संख्‍या 110 तक पहुंच गई थी।