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जाति प्रमाणपत्र अवैध होने पर भी नहीं जाएगी नौकरी, सरकार ने जारी किया आदेश

अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारियों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी है। किसी एसटी कर्मचारी का जाति प्रमाणपत्र अवैध ठहराया गया है और उसने विशेष पिछड़ा वर्ग का जाति प्रमाणपत्र व जाति वैधता प्रमाणपत्र पेश किया है तो सरकार उसे संरक्षण देगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Fri, 23 Oct 2015 04:34 AM (IST)
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नागपुर। अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के कर्मचारियों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी है। किसी एसटी कर्मचारी का जाति प्रमाणपत्र अवैध ठहराया गया है और उसने विशेष पिछड़ा वर्ग का जाति प्रमाणपत्र व जाति वैधता प्रमाणपत्र पेश किया है तो सरकार उसे संरक्षण देगी। अर्थात उसकी नौकरी सुरक्षित रहेगी।

कोई कार्रवाई नहीं होगी। इस संबंध में बुधवार 21 अक्टूबर को सामान्य प्रशासन विभाग के उपसचिव टी.वी. करपते ने एक परिपत्रक जारी किया है। परिपत्रक में स्पष्ट किया गया कि 15 जून 1995 अनुसार अनुसूचित जनजाति के प्रमाणपत्र के आधार पर 15 जून 1995 के पहले शासन सेवा में नियुक्त हुए कर्मचारियों के अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाणपत्र अवैध ठहराया गया है और उसने विशेष पिछड़ा प्रवर्ग का जाति प्रमाणपत्र व जाति वैधता प्रमाणपत्र पेश किया है, ऐसे लोगों को सरकार ने सुरक्षा देगी।

गौरतलब है कि इसे लेकर विधायक विकास कुंभारे सहित अन्य सामाजिक व राजनीतिक संगठनों ने सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। सरकार पर भी इसे लेकर दबाव बन रहा था। सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए आखिरकार ऐसे कर्मचारियों को संरक्षण देने का निर्णय लिया है।

अनेकों पर लटक रही थी तलवार

1995 के बाद अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र के आधार पर शासकीय सेवा में नियुक्त हुए कर्मचारियों को जाति प्रमाणपत्र अवैध होने पर उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया जाता था। उन्हें कोई संरक्षण प्राप्त नहीं था। ऐसे में सैकड़ों कर्मचारियों पर तलवार लटक रही है। इसे देखते हुए जून 1995 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को संरक्षण देने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। इस मांग पर विचार करने के लिए मंत्री गट नियुक्त किया गया था। तत्कालीन राजस्व मंत्री की अध्यक्षता में मंत्री गट बना था।

2011 में समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में 1995 से 2001 के बीच शासकीय सेवा में नियुक्त एसटी कर्मचारी, जिनका जाति प्रमाणपत्र अवैध ठहराया गया और उन्होंने विशेष पिछड़ा वर्ग का प्रमाणपत्र पेश किया है, ऐसे कर्मचारियों को संरक्षण देने की सिफारिश की गई थी। मंत्री गट की इस सिफारिश के आधार पर सरकार ने 1995 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को संरक्षण देने का निर्णय लिया है।