पुलिस को चकमा देकर भागा बिल्डर
सस्ते में घर देने का झांसा देकर लोगों से पैसे ऐंठने वाला बिल्डर अभिभावक मंत्री के सामने से ही उसे गिरफ्तार करने गई पुलिस को चकमा देकर भाग गया।
पुणे। सस्ते में घर देने का झांसा देकर लोगों से पैसे ऐंठने वाला बिल्डर अभिभावक मंत्री के सामने से ही उसे गिरफ्तार करने गई पुलिस को चकमा देकर भाग गया। बिल्डर ने इस स्कीम के विज्ञापन में प्रधानमंत्री मोदी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और पुणे के अभिभावक मंत्री गिरीश बापट की तस्वीर का इस्तेमाल किया था। पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था।
- पुणे के मैपल ग्रुप के सचिन जैन नामक बिल्डर ने पुणे में पांच लाख रुपए में1 बीएचके फ्लैट देने की घोषणा की थी।
- जैन ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी अनुदान लाभार्थी को दिलवाने का आश्वासन भी दिया था।
-इसके लिए अखबारों में विज्ञापन भी दिया था। इसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अभिभावक मंत्री की तस्वीर छपी थी। विज्ञापन में दस हजार घर उपलब्ध कराने की घोषणा की गई थी।
-इस स्कीम के तहत घर लेने के लिए बुकिंग के तौर पर हर ग्राहक से 1150 रुपए लिए गए हैं। जो नाॅन रिफंडेबल थे।
- दो दिनों में तकरीबन 20 हजार लोगों ने इस स्कीम के लिए रजिस्ट्रे्शन किया था। लाभार्थी को लाॅटरी के तहत चुना जाना था।
बीजेपी सांसद ने जताई थी आपत्ति
-बीजेपी सांसद किरीट सोमया ने बिल्डर पर विज्ञापन के माध्यम से लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था।
-सोमया का कहना था कि प्रोसिंसिंग फीस के नाम पर हजारों लोगों से पैसे एेंठे जा रहे है जो उन्हें वापस नहीं मिलनेवाले हैं।
-वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभार्थी को लाभ देना या नहीं यह कोई बिल्डर तय नहीं कर सकता।
-किरीट सोमया और सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुंभार द्वारा आपत्ति जताने के बाद राज्य सरकार ने बिल्डर के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे।
-गृहनिर्माण मंत्री प्रकाश मेहता ने कहा कि मैपल ग्रुप प्रधानमंत्री आवास योजना की लिस्ट में नहीं है।
-बिल्डर द्वारा चलाई जा रही स्कीम से सरकार का कोई संबंध नही है।
-अभिभावक मंत्री गिरीश बापट ने भी यह योजना से कोई संबंध न होने की बात कही।
मनसे कार्यकर्ताओं का हंगामा
मंगलवार दोपहर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने मैपल ग्रुप के शिवाजीनगर आॅॅफिस में हंगामा मचाते हुए तोडफोड़ की। वहीं घरों का रजिस्ट्रेशन रोका। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया। बाद में उन्हें छोड़ा गया।