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राजनीति छोड़ दूंगा, परंतु शिवसेना में नहीं जाऊंगा: नारायण राणे

उद्धव ठाकरे पर जुबानी हमला बोलते हुए नारायण राणे ने कहा है कि वे राजनीति छोड़ देंगे, परंतु शिवसेना में अब कभी नहीं जायेंगे। बांद्रा-पूर्व विधानसभा सीट का उप चुनाव हारने के बाद राणे ने विभिन्न मराठी न्यूज चैनलों से खुलकर बात की।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Sun, 19 Apr 2015 08:01 AM (IST)
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पुणे, मुंबई। शिवसेना में अब कोई भी निष्ठावान शिवसैनिक नहीं है। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के निधन के बाद सभी की निष्ठा भी खत्म हो गई। इस वक्त शिवसेना में जो लोग हैं, वे कमर्शियल शिवसैनिक हैं। इस प्रकार के शख्त शब्दों में उद्धव ठाकरे पर जुबानी हमला बोलते हुए नारायण राणे ने कहा है कि वे राजनीति छोड़ देंगे, परंतु शिवसेना में अब कभी नहीं जायेंगे।

बांद्रा-पूर्व विधानसभा सीट का उप चुनाव हारने के बाद राणे ने विभिन्न मराठी न्यूज चैनलों से खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि मुंबई मनपा जितना भ्रष्टाचार देश में कहीं नहीं है। शिवसेना मुंबई और ठाणे मनपा से मिलने वाले कमिशन के पैसे पर चलती है।

अपनी पराजय के सवाल पर उन्होंने कहा कि सियासत में कभी-कभी समीकरण गलत भी साबित होते हैं। मुझे जितने वोट मिलने की उम्मीद थी। उतने वोट नहीं मिले। हालांकि पूरे चुनाव में एमआईएम का प्रभाव कहीं नहीं दिखाई दिया, परंतु शिवसेना उम्मीदवार तृप्ति सावंत को पिछले चुनाव के मुकाबले 10 हजार वोट अधिक मिले। मुस्लिम समाज के लोगों ने भी कुछ पैमाने में शिवसेना को ही वोट दिया। राणे की हार के लिए कांग्रेस के ही कुछ नेता जिम्मेदार हैं। इस प्रकार का आरोप उनके विधायक बेटे नितेश राणे ने लगाया था। बेटे के इस दावे से असहमति दर्शाते हुए उन्होंने कहा कि मेरे चुनाव में कांग्रेस के सभी कार्यकर्ताओं ने पूरी मेहनत से काम किया था।

कोंकणी वोटरों ने मुझे निराश किया

राणे ने कहा कि बांद्रा-पूर्व विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने में कोंकणी वोटर हैं। कोंकण में मैंने विकास के जो कार्य किये हैं। उसकी वजह से मुझे कोंकणी लोगों का वोट निश्चित ही मिलेगा। इस प्रकार की मुझे उम्मीद थी। मगर कोंकणी वोटरों ने मुझे निराश किया।

पर्यावरण मंत्री रामदास कदम के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कदम बेजवाबदार नेता हैं। उन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे मंत्रिमंडल में रहने तक के लायक नहीं हैं। राणे ने कहा कि कदम ने जो आरोप लगाया है। उसका पहले वे सबूत पेश करें और उसके बाद आरोप लगाये। क्योंकि बेतुके आरोप लगाने का कोई मतलब नहीं होता है।

मैं विजयी होता, तो नहीं मनता जश्न

जीत का जश्न मनाते वक्त मेरे बारे में शिवसेना ने जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया। उससे उनकी बौद्धिक क्षमता का पता चलता है। इस प्रकार की प्रतिक्रिया देते हुए राणे ने कहा कि तृप्ति सावंत की विजय के बाद शिवसैनिक बाला सावंत के निधन की बात भूल गये।

उन्होंने कहा कि मैंने पहले से ही तय किया हुआ था कि यदि मैं चुनाव जीतता, तो जश्न नहीं मनता क्योंकि एक विधायक के निधन के बाद उप चुनाव हो रहा था। हालांकि इसके बावजूद शिवसेना ने जश्न मनाया और हाथ में चप्पल व मुर्गी लेकर डांस किया।

उन्होंने कहा कि मेरी हार के बाद पूरे महाराष्ट्र में शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। इससे राज्य की राजनीति में मेरी कितनी अहमियत है। यह बात पूरे महाराष्ट्र को पता चल गई है।

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