Move to Jagran APP

यहां करें पता आपके घर में वास्तु दोष है या नहीं?

अगर आप भी नए घर में आने के बाद आर्थिक तंगी और बीमारियों से पीड़ित रहते हैं तो हम आपको बताएंगे की आप वास्तु दोष से पीड़ित हैं या नहीं।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Fri, 01 Jul 2016 08:43 AM (IST)
Hero Image

हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका अपना घर इसलिए जब लोग घर बनाते है तो इंजीनियर से लेकर इंटीरियर डिजाइनर तक की सलाह लेतें है ताकि उनका घर खास दिखें। लेकिन अक्सर ये भूल जाते है कि घर वास्तु के अनुसार बना है या नहीं। ज्योतिष के अनुसार घर का वास्तु के अनुसार ना बनना कई बार आर्थिक तंगी और बीमारियों का कारण बन जाता है। अगर आप भी नए घर में आने के बाद आर्थिक तंगी और बीमारियों से पीड़ित रहते हैं तो हम आपको बताएंगे की आप वास्तु दोष से पीड़ित हैं या नहीं।

इस मलबे का तो नहीं किया इस्तेमाल
निर्माण कार्य में पुराने बिल्डिंग मैटीरियल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कुछ लोग पैसे बचाने के लिए मलबे से भराई कराते हैं, जिसमें रुई, हड्डी, जला हुआ कपड़ा, कोयला भी शामिल होते हैं। इस तरह के मलबे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसे मलबे के इस्तेमाल से आप कुछ पैसे की बचत तो कर लेते हैं, लेकिन इस मलबे में मिश्रित उपरोक्त वस्तुएं मकान में नकारात्मक ऊर्जा पैदा करने वाली होती हैं।

हैंडपंप या अंडरग्राउंड वाटर की दिशा भी है जरूरी

वास्तु के अनुसार हैंडपंप या अंडरग्राउंड वाटर टैंक उत्तर-पूर्व दिशा में होने चाहिए। इसके विपरीत ओवरहैड टैंक दक्षिण या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। बिजली के मेन कनेक्शन, इनवर्टर या जेनरेटर दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम में लगवाएं।अब देख लीजिए की आपके घर में हैंडपंप किस दिशा में है।


ऐसा हो अंदर का वास्तु
घर के अंदर का वास्तु भी उतना ही महत्वपूर्ण है। मकान का ड्राइंग रूम उत्तर-पूर्व, उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। परिवार के मुखिया और उसकी पत्नी के लिए घर का मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम या दक्षिण दिशा में हो। अपने रसोईघर को भी दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम में बनवाए। रसोईघर का निर्माण अगर दिशा-निर्देश को ध्यान में रखकर किया जाए, तो भोजन तो स्वादिष्ट बनता ही है, साथ ही आर्थिक दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण है। पूजाघर या अध्ययन कक्ष उत्तर-पूर्व में बनाना लाभकारी है। वास्तु के अनुसार यूं तो टॉयलेट घर में नहीं होना चाहिए, लेकिन आजकल यह संभव नहीं है। इसलिए इसे पश्चिम, दक्षिण या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनवाना चाहिए। सीढ़ियों का निर्माण दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम में करवाएं।

इस दिशा में हो घर
निर्माण से पहले ध्यान देना चाहिए कि मकान का मुंह किस दिशा में होगा। उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशाएं श्रेष्ठ मानी गयी हैं। वैसे भवन निर्माण के लिए उत्तर-पूर्व से अच्छी दिशा कोई नहीं है। अगर मकान का मुंह दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं हो तो उचित है। अधिकतर लोग प्लॉट के शेरमुख या गोमुख होने पर ध्यान देते हैं, पर बुनियादी रूप से प्लॉट को वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए। अच्छा हो यदि आयताकार प्लॉट 1:2 के अनुपात में हो। प्लॉट की खुदाई उत्तर-पूर्व से तथा भराई दक्षिण-पश्चिम से प्रारंभ करें। यानी पहली ईंट वहां लगाएं। दक्षिण-पश्चिम कोना 90 डिग्री का होना चाहिए। इनके अलावा कुछ और भी अहम बातें हैं, जिनका ख्याल हमें निर्माण के समय रखना चाहिए।

वास्तु-पूजा भी है जरूरी
मकान का प्रत्येक काम कर्मकांड, विधि-विधान और मुहूर्त देखकर ही करना चाहिए। मकान बनाने के बाद वास्तु-पूजा या वास्तु शांति अवश्य करवाएं। यह निर्माण के दौरान हुई किसी भी किस्म की गलती के लिए माफी का काम करती है।

पढ़ें- फोन में बैलेंस ना होने पर भी अब होगी कॉल !

आपकी प्यारी 'जींस' आपके लिए नहीं मजदूरों और नाविकों के लिए बनाई गई थी