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पर्यावरण दिवस: दैनिक जीवन में ऐसे रोके पानी की बर्बादी

हम पानी बचाकर पर्यावरण को बचाने में अपना अहम योगदान दें सकते हैं। इस बात पर इसलिए भी जोर दिया जाना चाहिए कि दुनिया की बड़ी आबादी को पीने का पानी नहीं मिलता। इसलिए हम पानी बचाकर पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Sun, 05 Jun 2016 04:15 PM (IST)
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आज विश्व पर्यावरण दिवस पर दुनिया में पर्यावरण को बचाने पर बातें हो रही हैं। इसी को लेकर पूरे विश्व भर में मुहिम चलाई जा रही हैं। हम भी पानी बचाकर पर्यावरण को बचाने में अपना अहम योगदान दें सकते हैं। इस बात पर इसलिए भी जोर दिया जाना चाहिए कि दुनिया की बड़ी आबादी को पीने का पानी नहीं मिलता। इसलिए आप पानी बचाकर पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं, विश्व पर्यावरण दिवस पर जानिए हम किस तरह अपने रोजाना की जिंदगी में हो रही पानी की बर्बादी को रोक सकते हैं।

  • टॉयलेट में लगी फ्लश की टंकी में प्लास्टिक की बोतल में रेत भरकर रख देने से हर बार `एक लीटर जल´ बचाने का कारगर उपाय उत्तराखण्ड जल संस्थान ने बताया है। इस विधि का तेजी से प्रचार-प्रसार करके पूरे देश में लागू करके जल बचाया जा सकता है।
  • अगर प्रत्येक घर की छत पर ` वर्षा जल´ का भंडार करने के लिए एक या दो टंकी बनाई जाएँ और इन्हें मजबूत जाली या फिल्टर कपड़े से ढ़क दिया जाए तो हर नगर में `जल संरक्षण´ किया जा सकेगा।
  • विज्ञान की मदद से आज समुद्र के खारे जल को पीने योग्य बनाया जा रहा है, गुजरात के द्वारिका आदि नगरों में प्रत्येक घर में `पेयजल´ के साथ-साथ घरेलू कार्यों के लिए `खारेजल´ का प्रयोग करके शुद्ध जल का संरक्षण किया जा रहा है, इसे बढ़ाया जाए।
  • जंगलों का कटान होने से दोहरा नुकसान हो रहा है। पहला यह कि वाष्पीकरण न होने से वर्षा नहीं हो पाती और दूसरे भूमिगत जल सूखता जाता हैं। बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण के कारण जंगल और वृक्षों के अंधाधुंध कटान से भूमि की नमी लगातार कम होती जा रही है, इसलिए वृक्षारोपण लगातार किया जाना जरूरी है।
  • घरों, मुहल्लों और सार्वजनिक पार्कों, स्कूलों अस्पतालों, दुकानों, मन्दिरों आदि में लगी नल की टोंटियाँ खुली या टूटी रहती हैं, तो अनजाने ही प्रतिदिन हजारों लीटर जल बेकार हो जाता है। इस बरबादी को रोकने के लिए नगर पालिका एक्ट में टोंटियों की चोरी को दण्डात्मक अपराध बनाकर, जागरूकता भी बढ़ानी होगी।
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