ऐसे बनें प्रशंसा के पात्र
हर कार्यस्थल में दो तरह के लोग पाए जाते हैं। पहले वो जो दफ्तर के लिए जरूरी होते हैं और दूसरे जो दफ्तर पर भार होते हैं। जो लोग जरूरी होते हैं उनसे न केवल सहकर्मी, बल्कि बॉस भी हमेशा खुश रहते हैं। इसके विपरीत जो लोग दफ्तर पर भार होते हैं वे न सहकर्मियों को सुहाते हैं और न ह
By Edited By: Updated: Sat, 28 Jun 2014 03:54 PM (IST)
हर कार्यस्थल में दो तरह के लोग पाए जाते हैं। पहले वो जो दफ्तर के लिए जरूरी होते हैं और दूसरे जो दफ्तर पर भार होते हैं। जो लोग जरूरी होते हैं उनसे न केवल सहकर्मी, बल्कि बॉस भी हमेशा खुश रहते हैं। इसके विपरीत जो लोग दफ्तर पर भार होते हैं वे न सहकर्मियों को सुहाते हैं और न ही बॉस को।
यह आप पर निर्भर करता है कि आप कार्यालय के लिए जरूरी कर्मचारी बनना चाहती हैं या फिर बोझ बनकर रहना चाहती हैं। याद रखिए यदि आप जरूरी लोगों की लिस्ट में शामिल होती हैं तो पीठ पीछे कुछ लोग भले ही आलोचना करें, लेकिन अधिकांश लोग आपकी सराहना ही करेंगे। प्रशंसा का पात्र बनने इसके लिये आपको आसमान से तारे तोड़कर नहीं लाने हैं, बस अपनी ड्यूटी के प्रति ईमानदार रहना है। कुछ बातें जिन पर अमल करके आप प्रशंसा का पात्र बन सकती हैं: -कंपनी के नियमों का पालन ईमानदारी से करें। साथ ही अपने सहकर्मियों को भी इसके लिए प्रेरित करें। -अपने अधिकारों के प्रति सजग होना जितना जरूरी है, उतना ही अपने कर्तव्यों के प्रति भी ईमानदारी का भाव रखें।
-कार्यस्थल पर किसी की आलोचना या निंदा न करें। ध्यान रखें एक न एक दिन सच्चाई सबके सामने आ ही जाती है कि कौन कैसा है। -आपके सीनियर उपस्थित हैं या नहीं, इस बात की चिंता छोड़ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से करें।
-सहकर्मियों और कंपनी से जुड़े अन्य लोगों के साथ सहयोगी भाव रखें और सभी से विनम्रतापूर्वक बात करें। -प्रतिदिन के काम को उसी दिन ही समाप्त कर घर जाने की कोशिश करें। -दफ्तर में न सिर्फ जिम्मेदारी से काम करें, बल्कि काम का माहौल बनाने में भी मदद करें। ऐसा न हो कि आपकी वजह से अन्य लोग डिस्टर्ब हो रहे हों और आप अपनी धुन में मगन बनी रहें। -अगर किसी विषय में आपकी राय मांगी जाती है तो सही बात कहें। -यदि आपके दिमाग में कंपनी को फायदा पहुंचाने वाले नये विचार सूझते हैं तो उन्हें अपने सीनियर या बॉस से शेयर कर सकती हैं। -कार्यस्थल में बिजली-पानी के उपयोग को लेकर उसी प्रकार से सतर्क रहें, जिस प्रकार से आप घर सतर्क रहती हैं। (इला शर्मा)