शूज खरीदने से पहले समझें अपने पैरों को, नहीं तो.....
शूज के आकर्षक डिजाइन की चकाचौंध में हम कई तरह की सावधानियों को बरतना भूल जाते हैं। जिसके बाद में पैरों के स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
हम अक्सर शूज खरीदते समय उसकी कीमत, डिज़ाइन और ब्रैंड पर फोकस करते हैं। इसलिए शूज के आकर्षक डिजाइन की चकाचौंध में हम कई तरह की सावधानियों को बरतना भूल जाते हैं। जिसके बाद में पैरों के स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए पूरी जानकारी और सावधानियों को बरतने के बाद ही शूज चूने।रनिंग शूज और चोट लगने के जोखिम के संबंध में वैज्ञानिकों का अध्ययन कहता है कि सही शूज का चयन करने के बाद चोट लगने का खतरा कम हो जाता है। इसलिए अगली बार जब रनिंग शूज खरीदें तो इन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखें।
स्टेब्लिटी (स्थिरता) : पैरों के आर्च को सहारा देने के लिए रनिंग शूज में सपोर्ट होना ज़रूरी है। इससे एंकल टि्वस्ट नहीं करती है और पैर में मोच नहीं आती।
कुशनिंग (गद्दी) : व्यक्ति जब दौड़ता है तो उस समय उसका वजन 6 गुना बढ़ जाता है। कुशनिंग की वजह से थकावट नहीं होती और धावक लंबे समय तक दौड़ सकता है। दौड़ते समय शरीर का 40 प्रतिशत वजन एड़ियों पर पड़ता है, और बाकी वज़न आगे की तरफ ट्रान्सफर होता है। इसलिए बॉडी वेट ट्रांसफर की इस प्रोसेस में कुशनिंग मददगार होती है।
लाइट वेट (हल्का वज़न) : लंबा और बिना थकावट वाली दौड़ के लिए जूतों का हल्का होना बहुत जरूरी है। हल्के जूते जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाने में सहायक तो होते ही हैं, साथ ही जल्दी थकने से बचाते हैं।
फ्लेक्सीिबलिटी (लचीलापन) : लंबी और बिना थके दौड़ने के लिए आवश्यक है कि जूतों के आगे वाले हिस्से (बॉल की तरफ) लचीलापन होना चाहिए। पैर का अगला हिस्सा जितना आराम से मुड़ेगा, धावक उतनी ही तेजी से दौड़ता है।
ग्रिप (पकड़) : दौड़ने के लिए जमीन के साथ पकड़ बहुत जरूरी है, इसीलिए जूतों का बाहरी सोल रबर या थरमोप्लास्टिक रबर का बना होता है। रबर सबसे अच्छी पकड़ प्रदान करता है। जिससे दौड़ते समय धावक का पैर तेल या पानी पर पड़ने से वह गिरते नहीं हैं और चोटों से बचते हैं।
फुट आर्च को समझना बेहद जरूरी
फ्लैट फुट आर्च
अपने पैरों की बनावट को समझने के लिए रंगीन पानी में पैर डालकर पैरों के निशान को एक पेपर पर देख सकते हैं।अगर पैरों के निशान में कोई घुमाव "चाप' नहीं दिखाई देता है या पैर के अंगूठे से लेकर एड़ी तक समान निशान दिखाई देते हैं, तो आप फ्लैट फुट वाले हैं। इस तरह के पैर "ओवर प्रोनेटर' होते हैं। दौड़ने के दौरान जंप करने में फ्लैट पैर, सीधे ज़मीन पर गिरता है, उसे एड़ी का सपोर्ट नहीं मिलता, इसलिए ऐसे लोगों को रनिंग शूज में आर्थोटिक्स इनसर्ट डालना आवश्यक है।
नॉर्मल फुट आर्च
जिन लोगों के पैरों के निशान में आधा आर्च दिखाई देता है। उनके पैर सामान्य आर्च के होते हैं। इस तरह के पैर 'नॉर्मल प्रोनेटर' होते हैं। अधिकांश लोगों के पैर नॉर्मल आर्च के होते हैं। सामान्यत: कंपनियां भी रनिंग शूज सामान्य आर्च को ध्यान में रखकर ही बनाती हैं, इसलिए ऐसे लोग अपने लिए रनिंग शूज आसानी से चुन सकते हैं।
हाई फुट आर्च
पैरों के निशान में आर्च में अंदर की तरफ अधिक घुमाव होता है तथा बीच का हिस्सा पतला होता है, इसे हाई आर्च कहते हैं। ऐसा बहुत कम लोगों के पैरों में होता है। इस तरह के पैर "अंडर प्रोनेटर' होते हैं। दौड़ते समय पैर के मुड़ने की संभावना अधिक होती है। इसलिए ऐसे लोगों को अधिक फ्लेक्सीबल और कुशनिंग वाले जूते पहनने चाहिए। आप जूतों में आर्थोटिक्स इनसर्ट डाल कर भी पहन सकते हैं।
पढ़ें- गर्मियों में इन तरीकों को अपनाएंगे तो नहीं होगा खाना जल्दी खराब