एयर इंडिया, इंडिगो ने भी दिए सस्ते ऑफर
विमानन नियामक डीजीसीए की मनाही के बावजूद एयर एशिया के डर ने दूसरी एयरलाइनों को भी स्पाइसजेट की राह पर चलने को मजबूर कर दिया है। गुरुवार को बजट एयरलाइन इंडिगो और सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया ने भी सस्ते किराये वाले एडवांस बुकिंग ऑफर पेश कर दिए।
By Edited By: Updated: Thu, 03 Apr 2014 10:14 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। विमानन नियामक डीजीसीए की मनाही के बावजूद एयर एशिया के डर ने दूसरी एयरलाइनों को भी स्पाइसजेट की राह पर चलने को मजबूर कर दिया है। गुरुवार को बजट एयरलाइन इंडिगो और सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया ने भी सस्ते किराये वाले एडवांस बुकिंग ऑफर पेश कर दिए।
मंगलवार को स्पाइसजेट ने एक रुपये में एडवांस बुकिंग का ऑफर पेश किया था। डीजीसीए की रोक के बावजूद इस ऑफर पर टिकटों की धुआंधार बुकिंग हुई। तीन दिन के ऑफर के पहले ही दिन दो लाख 20 हजार सीटें बुक हो गई। यह स्पाइसजेट की एक दिन में अब तक की सबसे ज्यादा बुकिंग थी। आम तौर पर एक दिन में सब मिलाकर अस्सी हजार सीटें बुक होती हैं। इस कामयाबी ने दूसरी एयरलाइनों को भी होड़ में शामिल होने को विवश कर दिया है। गुरुवार को एयर इंडिया ने शॉर्ट टर्म मानसून बोनांजा नाम से सस्ते एडवांस टिकटों की बिक्री की स्कीम लांच करने का एलान कर दिया। तीन अप्रैल से पांच अप्रैल तक बुकिंग कराने वाले यात्री इस टिकट पर 30 सितंबर, 2014 तक घरेलू उड़ान भर सकेंगे। इसके लिए उन्हें सिर्फ 1499 रुपये [टैक्स अतिरिक्त] देने होंगे। स्कीम के तहत देश के चालीस सेक्टरों की 108 उड़ानों में से किसी का भी चयन किया जा सकता है। उधर, इंडिगो ने भी जुलाई-सितंबर की यात्राओं के लिए सस्ती एडवांस बुकिंग का नया ऑफर पेश किया है। इसमें कोई समय सीमा भी नहीं है। किराये 1399 रुपये से शुरू होते हैं, जिनमें बेस फेयर और फ्यूल सरचार्ज शामिल है। स्कीम के तहत दिल्ली-मुंबई के एडवांस टिकट लगभग 2400 रुपये में उपलब्ध हैं।
एयर एशिया इंडिया की उड़ानें शुरू होने से पहले जिस तरह भारतीय एयरलाइनें बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं उससे उनका भला हो या न हो मगर ग्राहकों का भला होना तय है। एयर एशिया को एयर ऑपरेटर परमिट मिलने वाला है। अब तक मिल भी गया होता, अगर एयरलाइनों ने विरोध नहीं किया होता और अदालत नहीं गई होतीं। दरअसल, एयर एशिया के किरायों को लेकर डरी एयरलाइनें कुछ समय के लिए उसकी उड़ानों को टलवाना चाहती हैं ताकि उन्हें अपनी स्थिति और मजबूत करने का मौका मिल जाए। बहरहाल, इस होड़ ने एयर डेक्कन की बंदी के बाद देश में मृतप्राय हो चुकी सस्ते किराये की अवधारणा को पुनर्जीवित कर दिया है। उद्योग के जानकारों के मुताबिक इन ऑफरों के जरिए एयरलाइनें अपना पैसेंजर लोड फैक्टर बढ़ाना चाहती हैं। लाभ की स्थिति में रहने के लिए किसी एयरलाइन को कम से कम 85 फीसद सीटें भरनी जरूरी हैं। इससे पहले एयरलाइनों ने जनवरी और मार्च में इस तरह की डिस्काउंट फेयर वाली फ्लैश बिक्री स्कीमें पेश की थीं।