कर्ज के सस्ता होने के लिए आम जनता व उद्योग जगत को अब बजट तक का इंतजार करना होगा। राजग सरकार 28 फरवरी को अगले वित्त वर्ष का बजट पेश करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली इसमें महंगाई और राजकोषीय घाटे को थामने के लिए क्या कदम उठाते हैं, उसे देख
By Murari sharanEdited By: Updated: Tue, 03 Feb 2015 07:23 PM (IST)
नई दिल्ली जागरण ब्यूरो। कर्ज के सस्ता होने के लिए आम जनता व उद्योग जगत को अब बजट तक का इंतजार करना होगा। राजग सरकार 28 फरवरी को अगले वित्त वर्ष का बजट पेश करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली इसमें महंगाई और राजकोषीय घाटे को थामने के लिए क्या कदम उठाते हैं, उसे देख कर ही रिजर्व बैंक (आरबीआइ) आगे कर्ज दरों को घटाने का फैसला करेगा। मंगलवार को मुंबई में वार्षिक मौद्रिक नीति की छठी द्विमासिक समीक्षा करते हुए आरबीआइ गवर्नर ने रेपो रेट को स्थिर रखते हुए स्पष्ट कर दिया कि ब्याज दरों को कम करने में वह कोई जल्दबाजी नहीं करेंगे।
बैंक नहीं दे रहे फायदा
हालांकि वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में 0.50 फीसद की कटौती कर उन्होंने यह संकेत दे दिया है कि ब्याज दरों में नरमी का माहौल ही आगे रहेगा। आरबीआइ ने एसएलआर को 22 से घटाकर 21.50 फीसद कर दिया है। इससे बैंकों के पास कर्ज बांटने के लिए ज्यादा पैसा बचेगा। यह कदम बैंकों को कर्ज की दरों को नरम करने में भी मदद करेगा। बीते माह रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती की थी, लेकिन उसका फायदा ग्राहकों को नहीं मिल पाया है, क्योंकि गिने-चुने बैंकों के अलावा किसी ने भी कर्ज सस्ता नहीं किया है। देश के 45 कॉमर्शियल बैंकों में से महज तीन ने ही रेपो दर में कमी का लाभ ग्राहकों को दिया है। गवर्नर रघुराम राजन ने भी इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने कहा, 'बैंक कर्ज नहीं दे रहे हैं। वह ब्याज दरों को घटाकर कर्ज की रफ्तार बढ़ा सकते हैं। इससे उनकी लाभप्रदता भी बढ़ेगी। कई बैंकों ने जमा पर तो दरें घटाने में देरी नहीं की, लेकिन कर्ज सस्ता करने में वे आनाकानी कर रहे हैं। शायद वे अपने प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए ऐसा कर रहे हैं।'
बहरहाल, आगे कर्ज सस्ते होंगे या नहीं यह बहुत कुछ आगामी बजट पर निर्भर करेगा। आरबीआइ के मुताबिक सरकार राजकोषीय घाटे को काबू में लाने और खाद्य व अन्य उत्पादों की कीमतें नियंत्रित करने के लिए आपूर्ति पक्ष कितना बेहतर करती है, इसके आधार पर ही रेपो दरें कम होंगी। केंद्रीय बैंक मान रहा है कि अगले महीने से सब्जियों की कीमत में संभावित वृद्धि महंगाई की दर को बढ़ा सकती है। आरबीआइ ने कर्ज की दरों को लेकर भले ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया हो, लेकिन अधिकांश जानकार मान रहे हैं कि अगले एक वर्ष के भीतर भारत में ब्याज दरों में एक फीसद तक की कटौती हो सकती है। बाजार व उद्योग जगत निराश
ब्याज दरों में कटौती को लेकर आश्वस्त रहे शेयर बाजार व उद्योग जगत ने मौद्रिक नीति समीक्षा को लेकर गहरी निराशा जताई है। समीक्षा के तुरंत बाद ही शेयर बाजार कमजोर हो गया। सेंसेक्स 122 अंक की गिरावट के साथ 29 हजार पर बंद हुआ। उद्योग चैंबर एसोचैम ने कहा है कि अगर आरबीआइ नहीं कर सकता तो केंद्र सरकार को ब्याज दरों को घटाने के लिए बैंको पर दबाव बनाना चाहिए।
-नहीं मिली राहत- -आरबीआइ गवर्नर राजन ने रेपो रेट में नहीं किया बदलाव -बजट में सरकार के रुख को देख कर होगा आगे फैसला -बैंकों ने नहीं दिया ग्राहकों को पिछली कटौती का फायदा
समीक्षा की खास बातें 1. वैधानिक आरक्षित अनुपात में 0.50 फीसद की कमी 2. रेपो रेट 7.75 और सीआरआर चार फीसद पर स्थिर 4. एक वर्ष तक छह फीसद पर रहेगी महंगाई दर 5. चालू वित्त वर्ष में 5.5 फीसद रहेगी आर्थिक विकास दर 6. अगले वर्ष में विकास दर 6.5 फीसद रहने के आसार 7. सालाना 2.50 लाख डॉलर विदेश में कर सकते हैं निवेश 8. छोटे बैंकों के लिए 72 व भुगतान बैंकों के लिए 41 आवेदन मिले 9. सरकारी प्रतिभूतियों मे ज्यादा निवेश कर सकेंगे विदेशी निवेशक