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ब्याज दरों में आधा फीसद की कटौती मुमकिन

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की वार्षिक मौद्रिक नीति से पहले यस बैंक ने प्रमुख ब्याज दरों में कमी की उम्मीद जताई है। यस बैंक के एमडी राणा कपूर का कहना है कि दरों में आधा फीसद की कटौती के लिए आर्थिक माहौल पूरी तरह से उपयुक्त है। कपूर ने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई में लगातार कमी आ रही है। जबकि ि

By Edited By: Updated: Sun, 23 Mar 2014 11:46 PM (IST)
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की वार्षिक मौद्रिक नीति से पहले यस बैंक ने प्रमुख ब्याज दरों में कमी की उम्मीद जताई है। यस बैंक के एमडी राणा कपूर का कहना है कि दरों में आधा फीसद की कटौती के लिए आर्थिक माहौल पूरी तरह से उपयुक्त है।

कपूर ने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई में लगातार कमी आ रही है। जबकि विकास दर कमजोर बनी हुई है ऐसे में ब्याज दरें घटाने के लिए यह सही समय है। केंद्रीय बैंक अगले छह से 12 माह में रेपो रेट में 50 आधार अंक की कटौती कर सकता है। इसके अलावा उन्होंने मनीमार्केट में उतार-चढ़ाव कम करने के लिए टर्म रेपो विंडो को मौजूदा 89,000 करोड़ रुपये के बढ़ाने और टर्म रेपो कैलेंडर के जरिये लिक्विडिटी के प्रबंधन पर जोर दिया है।

आरबीआइ वर्ष 2014-15 के लिए एक अप्रैल को मौद्रिक नीति जारी करेगा। इससे पहले जनवरी में बैंक ने अपनी तिमाही मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट 0.25 फीसद बढ़ाकर आठ फीसद की थी। कपूर ने कहा कि मजबूत वित्तीय स्थिति वाले बैंकों को बांड और मीडियम टर्म नोट के जरिये उधारी जुटाने में लचीलेपन की छूट मिलनी चाहिए।

आर्थिक रफ्तार के लिए बेहतर माहौल जरूरी

नई दिल्ली। देश में निवेश बढ़ाने के लिए केवल ब्याज दरों में कटौती पर्याप्त नहीं होगी। बल्कि दरों में कटौती के साथ बेहतर माहौल की भी जरूरत होगी। एचएसबीसी की कंट्री हेड नैना लाल किदवई ने यह राय जताई है। किदवई ने एक समारोह में कहा कि निवेश नहीं बढ़ने का एकमात्र कारण ऊंची ब्याज दरें नहीं है। विकास और उद्योगों के लिए बेहतर माहौल की जरूरत है। ब्याज दरें इसका केवल एक पहलू हैं।

फरवरी में खुदरा महंगाई दर 25 महीने के निचले स्तर 8.1 फीसद पर पहुंचने से एक अप्रैल को आरबीआइ की ओर से ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ी है। फरवरी में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई भी घटकर नौ माह के निचले स्तर 4.68 फीसद पर आ चुकी हैं।

किदवई ने कहा कि मुझे लगता है कि ब्याज दरों में कमी करने से पहले महंगाई दर के हालिया प्रदर्शन में स्थायित्व आना चाहिए। हालांकि यह स्पष्ट है कि फिलहाल दरों में वृद्धि नहीं होगी।

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