नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र की मोदी सरकार ने आर्थिक सुधारों की दिशा में अपना पहला कदम बढ़ा दिया है। अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने और देश में निवेश का माहौल दुरुस्त करने के लिए बीमा उद्योग में एफडीआइ की सीमा को 49 फीसद तक बढ़ाने के फैसले पर सरकार ने मुहर लगा दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा को मौजूदा 26 फीसद से बढ़ाने के लिए इरडा अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
By Edited By: Updated: Thu, 24 Jul 2014 10:19 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र की मोदी सरकार ने आर्थिक सुधारों की दिशा में अपना पहला कदम बढ़ा दिया है। अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने और देश में निवेश का माहौल दुरुस्त करने के लिए बीमा उद्योग में एफडीआइ की सीमा को 49 फीसद तक बढ़ाने के फैसले पर सरकार ने मुहर लगा दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा को मौजूदा 26 फीसद से बढ़ाने के लिए इरडा अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
जल्दी ही सरकार इस विधेयक को संसद में पेश करेगी। हालांकि सरकार ने बीमा कंपनियों का प्रबंधन भारतीय हाथों में ही रहने की शर्त लगाई है। सरकार के इस फैसले से बीमा उद्योग में करीब 25,000 करोड़ रुपये का नया निवेश आने की उम्मीद है। इस निर्णय से पेंशन फंडों में भी एफडीआइ की सीमा 26 से बढ़कर 49 फीसद हो जाएगी। पेंशन नियामक पीएफआरडीए अधिनियम में ही इसका प्रावधान किया गया है कि बीमा कंपनियों के लिए निर्धारित एफडीआइ सीमा ही पेंशन क्षेत्र पर लागू होगी।
मोदी सरकार का यह फैसला न केवल बीमा उद्योग में लंबी अवधि की पूंजी को आकर्षित करेगा, बल्कि देश में विदेशी निवेश आने का रास्ता भी खोलेगा। इसके बाद सरकार अब रक्षा और रेलवे में भी एफडीआइ की दिशा में अगला कदम बढ़ाएगी। उद्योग वर्ष 2008 से ही बीमा कंपनियों में एफडीआइ की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहा था। बीमा कंपनियां नई पूंजी की बदौलत भारतीय बाजार में नए बीमा उत्पाद ला सकेंगी। इससे लोगों को जीवन बीमा ही नहीं स्वास्थ्य, मोटर जैसे कई क्षेत्रों में बीमा के नए विकल्प उपलब्ध होंगे। बीते दो साल से धीमी पड़ी आर्थिक रफ्तार के बीच सुधारों की प्रतीक्षा कर रहे उद्योग जगत ने मोदी सरकार के इस फैसले का खुलकर स्वागत किया है। सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को हुई कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में इस प्रस्ताव को आम सहमति से स्वीकार कर लिया गया। बीमा उद्योग में 26 फीसद से अधिक के एफडीआइ प्रस्तावों को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) से मंजूरी लेनी होगी। साथ ही कंपनी का प्रबंधन भी भारतीय नागरिकों के ही हाथों में रखना होगा। एफडीआइ की सीमा बढ़ाने के लिए सरकार को संसद से मौजूदा इरडा अधिनियम में संशोधन कराना होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार बनने से पहले और बाद में लगातार आर्थिक विकास की रफ्तार को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता जताते रहे हैं। सचिवों से लेकर सरकार के मंत्रियों के साथ हुई अपनी बैठकों में वह लगातार ऐसे कदम उठाने पर जोर दे रहे हैं, जिनसे अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदली जा सके। आर्थिक सुधारों की सुस्त रफ्तार को लेकर मुखर रहे मोदी की सक्रियता का नतीजा है कि गुरुवार को सरकार ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए एफडीआइ सीमा में वृद्धि के फैसले पर मुहर लगा दी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसी महीने संसद में पेश अपने बजट में बीमा व रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव किया था। बीमा उद्योग में पूंजी की कमी लंबे समय से महसूस की जा रही है। इस वजह से बीमा उद्योग का विस्तार व विकास दोनों थम गए हैं। विदेशी पूंजी आने का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि कंपनियों की भारतीय बाजार में पैठ बढ़ेगी। इससे फसल बीमा या होम लोन बीमा जैसे कई दूसरे उत्पाद भी लोगों को मिलेंगे।
क्या होगा असर -बीमा उद्योग में करीब 25,000 करोड़ रुपये का नया निवेश संभावित -पेंशन क्षेत्र में भी बढ़ेगा विदेशी पूंजी का प्रवाह -बीमा कंपनियां कर पाएंगी अपने कामकाज का विस्तार -भारतीय बाजार में बीमा उद्योग की बढ़ेगी दूरदराज तक पैठ -बीमा कंपनियां ग्राहकों के लिए लाएंगी नए-नए उत्पाद -जीवन बीमा से लेकर साधारण बीमा में बढ़ेगी उत्पादों की संख्या -इससे जनता को मिलेंगे बीमा उत्पादों के ज्यादा विकल्प सुधारों का शुभारंभ -बीमा में एफडीआइ की सीमा वृद्धि से हो गई शुरुआत -पेंशन क्षेत्र में भी होगा 49 फीसदी एफडीआइ -रक्षा उत्पादन, रेल में एफडीआइ हो सकता है अगला कदम -सार्वजनिक उपक्रमों में बड़े स्तर पर विनिवेश की तैयारी -पेट्रोलियम सब्सिडी व गैस कीमतों पर विचार की प्रक्रिया शुरू
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