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5 साल के निचले स्तर पर क्रूड ऑयल, फिर भी पेट्रोल-डीजल महंगा

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत सा़ढ़े पांच साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई। मंगलवार को ब्रेंट क्रूड 53.50 डॉलर प्रति बैरल रहा। यह मई 2009 के बाद सबसे कम है। उस वक्त भारत में पेट्रोल की कीमत 40.62 रुपए और डीजल की 30.86 रपए प्रति लीटर

By Manoj YadavEdited By: Updated: Tue, 06 Jan 2015 08:34 PM (IST)

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत सा़ढ़े पांच साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई। मंगलवार को ब्रेंट क्रूड 53.50 डॉलर प्रति बैरल रहा। यह मई 2009 के बाद सबसे कम है। उस वक्त भारत में पेट्रोल की कीमत 40.62 रुपए और डीजल की 30.86 रपए प्रति लीटर थी।

अभी इंदौर में पेट्रोल 65 रुपए 23 पैसे और डीजल 55 रुपए 77 पैसे प्रति लीटर बिक रहा है। यानी पांच साल पहले की तुलना में क्रमश: 24.61 और 24.91 रुपए ज्यादा। जून 2014 से अब तक कच्चे तेल के दाम 50 प्रतिशत से ज्यादा घटे हैं लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 20 प्रतिशत की भी कटौती नहीं की गई।

सवाल यह है कि क्रूड ऑयल की तुलना में पेट्रोल-डीजल के दाम कम क्यों नहीं हो रहे?

आइए जानते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम और कच्चे तेल की कीमतों के रिश्ते को..

पेट्रोल-डीजल का आपकी गाड़ी तक पहुंचने तक का सफर 27.44 रुपए का तेल इंदौर वासी खरीद रहे हैं 65.23 [पेट्रोल] और 55.77 [डीजल] रुपए में-अंतरराष्ट्रीय बाजार में बीएस 3 गुणवत्ता का कच्चा तेल: 53.50 डॉलर यानी करीब 3293 रपए में। प्रति लीटर लागत 27 रुपए 44 पैसे।

परिशोधन खर्च: 8.48 रुपए प्रति लीटर।

उत्पाद शुल्क: 59 पैसे प्रति लीटर।

वैट-सेस, एसएससी, एलबीटी, एंट्री टैक्स और माल भाड़ा: 17.47 रुपए डीजल पर और 26.93 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल पर [मध्य प्रदेश में डीजल पर 22 प्रतिशत और पेट्रोल पर 30 प्रतिशत वैट है]।

डीलरों का कमीशन: 1.79 रुपए प्रति लीटर, उपभोक्ता तक पहुंच रहा पेट्रोल 65.23 रपए और डीजल 55.77 रुपए प्रति लीटर यानी केंद्र और राज्य सरकारें 23.48 रूपए बतौर टैक्स और पेट्रोलियम कंपनियां 8.48 रुपए [कुल 31.96 रुपए] प्रति लीटर ले रही हैं।

सवाल- तो क्या पांच साल पहले के दाम में बिक सकता था पेट्रोल-डीजल।

जवाब- यह संभव नहीं, क्योंकि -कच्चे तेल से पेट्रोल, डीजल या किरोसिन बनाने की लागत ब़़ढ गई। कंपनियों को सरकार को उत्पाद शुल्क देना प़़डता है। तैयार उत्पाद यानी डीजल-पेट्रोल पर केंद्र और राज्य सरकारें कई तरह के टैक्स और शुल्क लगा रही हैं। माल ढुलाई, डीलर का कमीशन और खुदरा बिक्री का अतिरिक्त भार।

नोट- हालांकि केंद्र सरकार यदि ढाई माह में तीसरी बार उत्पाद शुल्क [पेट्रोल पर कुल 5.75 रुपए] और [डीजल पर कुल 4.50 रुपए] नहीं लगाती और राज्य सरकार भी दो दफे वैट नहीं ब़़ढाती [दोनों पर 4 फीसदी] तो इनके दाम 4 से 6 रुपए जरूर कम हो जाते।

क्यों घट रहे कच्चे तेल के दाम

मुख्य तेल उत्पादक देशों की विएना में उत्पादन घटाने पर सहमति नहीं बनी।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग में लगातार गिरावट आ रही है।

अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन 30 साल के उच्चतम स्तर पर है।

चीन और अमेरिका के पास कच्चे तेल की मात्रा काफी ज्यादा है।

भारत चौथा सबसे ब़़डा बाजार

2014 दिसंबर में भारत ने 4282 करोड़ डॉलर का क्रूड ऑयल आयात किया। दुनियाभर में अनुमानत: प्रतिदिन 8 करोड़ 50 लाख बैरल [करीब 1020 करोड़ लीटर] क्रूड ऑयल का उत्पादन होता है। इसमें भारत की उत्पादन हिस्सेदारी आठ लाख 97 हजार बैरल यानी 10 करोड़ 76 लाख लीटर [1.3 प्रतिशत] है।

यूएस एनर्जी इन्फॉर्मोशन एडमिस्ट्रेशन के अनुसार, भारत में करीब 39 लाख बैरल क्रूड ऑयल यानी 46 करोड़ 80 लाख लीटर की प्रतिदिन की खपत होती है, जो दुनिया में अमेरिका, चीन और जापान के बाद सबसे ज्यादा है। इस तरह भारत क्रूड ऑयल का चौथा सबसे ब़़डा उपभोक्ता है।

पांच साल का सफर समय कच्चा तेल [प्रति बैरल] डीजल/पेट्रोल [रुपए] मई 2009 51 डॉलर 30/41 जनवरी 2010 81 डॉलर 34/55 मार्च 2011 125 डॉलर 41/64 अप्रैल 2012 120 डॉलर 42/70 अगस्त 2013 115 डॉलर 53/74 अगस्त 2014 100 डॉलर 64/75 अक्टूबर 2014 70 डॉलर 61/72 जनवरी 2015 53 डॉलर 55/65

स्रोत: माईपेट्रोलप्राइस.कॉम