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छह साल के निचले स्तर पर आया कच्चा तेल

कच्चा तेल (क्रूड) मंगलवार को करीब छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक की ओर से उत्पादन में कटौती नहीं करने के फैसले पर कायम रहने की खबरों के बाद यह गिरावट आई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में लंदन ब्रेंट क्रूड 1.06 डॉलर टूटकर 46.37

By Manoj YadavEdited By: Updated: Wed, 14 Jan 2015 03:51 PM (IST)
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लंदन। कच्चा तेल (क्रूड) मंगलवार को करीब छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक की ओर से उत्पादन में कटौती नहीं करने के फैसले पर कायम रहने की खबरों के बाद यह गिरावट आई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में लंदन ब्रेंट क्रूड 1.06 डॉलर टूटकर 46.37 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बोला गया। यह नीचे में 45.23 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया था, जो मार्च, 2009 से अब तक का सबसे निचला स्तर है। इसी तरह यूएस क्रूड 1.15 डॉलर लुढ़ककर 44.92 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया।

हमारे लिए फायदा

फिलहाल कच्चे तेल के दाम घटने से भारत को फायदा होगा। सरकार का आयात बिल घटेगा। सब्सिडी बिल में भी कटौती होगी। इन वजहों से रुपया मजबूत होगा। इसके अलावा पेट्रोल और डीजल जैसे ईधन के दामों में आगे और गिरावट देखने को मिल सकती है। जून, 2014 से कच्चे तेल की कीमतें करीब 60 फीसद नीचे आ चुकी हैं।

गिरावट के कारण

पिछले छह साल के दौरान अमेरिकी शेल ऑयल के उत्पादन में तेज वृद्धि हुई है। अमेरिका का घरेलू उत्पादन दोगुना हो गया है। इस वजह से वहां तेल आयात तेजी से घटा और तेल निर्यातकों को दूसरा ठिकाना तलाशने पर विवश होना पड़ा। सऊदी अरब, नाइजीरिया और अल्जीरिया जैसे तेल निर्यातक अचानक एशियाई बाजारों के लिए प्रतिस्पर्धा करने लगे। नतीजतन, उत्पादकों को कीमत घटानी पड़ी। दूसरी तरफ यूरोप और विकासशील देशों की आर्थिक रफ्तार सुस्त पड़ गई है और वाहन ज्यादा एनर्जी-एफीशिएंट बन रहे हैं। इस कारण तेल की मांग में कमी आई। विशेषज्ञ मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम 40 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंचेंगे।

दलाल स्ट्रीट में थमी तेजी

दलाल स्ट्रीट में लगातार तीन सत्रों से जारी तेजी मंगलवार को थम गई। कच्चे तेल (क्रूड) की कीमतों में गिरावट के बीच निवेशकों ने चुनिंदा शेयरों में मुनाफावसूली की। इससे बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स 159.54 अंक लुढ़ककर 27425.73 अंक पर पहुंच गया। बीते तीन सत्रों में यह संवेदी सूचकांक 676.45 अंक चढ़ा था। इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 23.60 अंक टूटकर 8299.40 अंक पर बंद हुआ।

दिसंबर में खुदरा महंगाई की दर में मामूली वृद्धि के बाद ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें धूमिल हो गई। औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी के आंकड़ों ने निवेशकों को उत्साहित किया, लेकिन क्रूड की कीमतों में गिरावट ने इस पर पानी फेर दिया। तीस शेयरों वाला सेंसेक्स 27611.56 अंक पर मजबूत खुला। इसने 27670.19 अंक का ऊंचा स्तर छुआ। अंतिम कारोबारी घंटों में निवेशकों की बिकवाली के झोंके में एक समय सेंसेक्स 27324.58 अंक के निचले स्तर पर पहुंच गया था। बीएसई के सूचकांकों में रीयल एस्टेट, तेल एवं गैस और कंज्यूमर ड्यूरेबल खंड की कंपनियों के शेयरों को बिकवाली की ज्यादा मार पड़ी। सेंसेक्स की तीस कंपनियों में 21 के शेयर गिरे, जबकि नौ में तेजी दर्ज की गई।