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डीजल मूल्य वृद्धि की चुभन छह महीने और

डीजल वाहन चलाने वालों अथवा घरों-दुकानों में डीजल का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को अब ज्यादा दिनों तक हर महीने मूल्य वृद्धि का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। अगर सब कुछ ठीक रहा तो बस अगले छह महीने डीजल की कीमत में 50 पैसे प्रति महीने की बढ़ोतरी की जाएगी। इससे अभी डीजल पर होने वाला 3.40 रुपये प्रति लीटर का घाट

By Edited By: Updated: Fri, 30 May 2014 11:01 AM (IST)
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नई दिल्ली, [जयप्रकाश रंजन]। डीजल वाहन चलाने वालों अथवा घरों-दुकानों में डीजल का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को अब ज्यादा दिनों तक हर महीने मूल्य वृद्धि का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। अगर सब कुछ ठीक रहा तो बस अगले छह महीने डीजल की कीमत में 50 पैसे प्रति महीने की बढ़ोतरी की जाएगी। इससे अभी डीजल पर होने वाला 3.40 रुपये प्रति लीटर का घाटा पूरा हो जाएगा। अगर डॉलर के मुकाबले रुपये ने थोड़ी और मजबूती दिखाई डीजल मूल्य वृद्धि से पहले भी निजात मिल सकती है।

इसके संकेत हैं कि नई सरकार भी हर महीने डीजल कीमत बढ़ाने के पूर्व संप्रग सरकार के फैसले में कोई रोड़ा अटकाने नहीं जा रही। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन आरएस बुटोला ने बुधवार को नए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान के सामने पेट्रो उत्पादों की मूल्य वृद्धि की पूरी गणित समझाई। बुटोला का कहना है, 'डीजल मूल्य वृद्धि का फैसला बहुत ही सही साबित हुआ है। हर महीने 50 पैसे की मूल्य वृद्धि से तेल कंपनियों की स्थिति बेहतर हुई है। वैसे नई सरकार जो भी फैसला करेगी हम मानेंगे, लेकिन मुडो नहीं लगता कि अभी मूल्य वृद्धि के फैसले को पलटने की जरूरत है।'

संप्रग सरकार ने जनवरी, 2013 में हर महीने डीजल की कीमत में 50 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि तब तक करने का फैसला किया था, जब तक डीजल पर होने वाला घाटा पूरा न हो जाए। तब डीजल पर तेल कंपनियों को 12 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा था। लेकिन पिछले दो महीनों में रुपये की मजबूती से हालात सकारात्मक रूप से बदले हैं। पिछले महीने डीजल पर होने वाला 4.40 रुपये का घाटा अब 3.40 रुपये का रह गया है। बुटोला का कहना है कि जनवरी, 2013 के बाद से इस बढ़ोतरी से तेल कंपनियों को डीजल पर होने वाले घाटे में 45,000 करोड़ रुपये की कमी हुई है। अगर मूल्य वृद्धि नहीं होती तो यह बोझ सरकारी खजाने पर पड़ता। साथ ही यह तथ्य भी गलत साबित हुआ है कि डीजल की मूल्य वृद्धि महंगाई को बढ़ाती है।

डीजल कीमत बढ़ोतरी के फैसले का असर देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल के मुनाफे पर भी पड़ा है। वर्ष 2013-14 में कंपनी का शुद्ध मुनाफा 40 फीसद की वृद्धि के साथ 7019 करोड़ रुपये का हो गया है। यह स्थिति तब है, जब सरकार ने जनवरी-मार्च, 2014 के घाटे की भरपायी नहीं की है।

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