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मुसाफिरों को नहीं सुहाई डबल-डेकर ट्रेन, बंद हो सकता है कोच का उत्पादन

रेलवे की खूबसूरत डबल-डेकर एसी ट्रेनें यात्रियों को रास नहीं आ रही है। मुसाफिरों की संख्या कम होने से इनके संचालन में रेलवे को अच्छा-खासा घाटा झेलना पड़ रहा है। नुकसान से उबरने के लिए कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्ट्री को बीते साल के मुकाबले इस साल डबल-डेकर ट्रेनों के आधे कोच ही बनाने को कहा गया है।

By Edited By: Published: Mon, 03 Feb 2014 09:45 AM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2014 09:45 AM (IST)

[आशीष गुप्ता], अलीगढ़। रेलवे की खूबसूरत डबल-डेकर एसी ट्रेनें यात्रियों को रास नहीं आ रही है। मुसाफिरों की संख्या कम होने से इनके संचालन में रेलवे को अच्छा-खासा घाटा झेलना पड़ रहा है। नुकसान से उबरने के लिए कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्ट्री को बीते साल के मुकाबले इस साल डबल-डेकर ट्रेनों के आधे कोच ही बनाने को कहा गया है।

लघु उद्योग भारती व एमएसएमई के 'नेशनल वेंडर डेवलपमेंट प्रोग्राम कम इंडस्ट्रियल एक्सपो' में आए कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री के उप मुख्य सामग्री प्रबंधक जेएस अरोड़ा ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि रेलवे ज्यादा दिन घाटा नहीं झेल सकती। आने वाले वर्षो में यात्रियों की संख्या नहीं बढ़ी तो डबल-डेकर कोच का उत्पादन बंद भी किया जा सकता है।

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देश में इस समय दिल्ली-जयपुर, मुंबई-अहमदाबाद, चेन्नई-बेंगलूर, हावड़ा-धनबाद और हबीबगंज-इंदौर के बीच पांच डबल डेकर एसी ट्रेनें चल रही हैं। पिछले साल डबल डेकर ट्रेन के 40 एसी कोच कपूरथला स्थित कोच फैक्ट्री में बनाए गए थे। रेलवे का आकलन है कि इन कोचों की 80 फीसद सीटें भरने पर ही लाभ होगा। लेकिन, सभी रूटों पर इन ट्रेनों में 50 से 65 फीसद मुसाफिर ही यात्रा कर रहे हैं। ऐसे मे रेलवे को घाटा हो रहा है। रेलवे ने घाटे को देखते हुए कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में इस साल सिर्फ 20 डबल डेकर कोच ही बनाने का लक्ष्य रखा है।

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असुविधाजनक यात्रा

डबल डेकर ट्रेनों में यात्रा कुछ लोगों के लिए मुसीबत बन जाती है। लंबे व्यक्तियों को चलने और खड़े होने में दिक्कत होती है। बैठने का क्षेत्र भी यात्रियों को छोटा लगता है। सामान्य कोच में जहां 72 यात्रियों के लिए चार टॉयलेट होते हैं। डबल-डेकर कोच में 120 यात्रियों के लिए चार टॉयलेट हैं। इससे यात्री खुश नहीं हैं।

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लगेंगे साइन बोर्ड

भीड़-भाड़ वाले दिनों में कोच के भीतर आए यात्री को अपनी सीट खोजना कठिन हो जाता है। वजह सीट नंबर का छोटे अंकों में लिखा होना भी होता है। इससे निजात के लिए रेलवे अब साइन बोर्ड तैयार करा रही है। उन पर सीट संख्या व दिशा भी लिखी होगी। जल्दबाजी में गलत कोच में चढ़ने वाले यात्रियों को किसी और से अपने कोच का नंबर भी नहीं पूछना पड़ेगा। बोर्ड पर कोच संख्या भी दर्ज होगी।

कूलिंग कट्रोंल करेंगे यात्री

वो दिन दूर नहीं, जब ट्रेनों में एसी की कूलिंग का रिमोट यात्रियों के हाथ में होगा। हालांकि, अभी यह सुविधा चुनिंदा ट्रेनों के एसी कोच में ही लागू होगी। यात्री अपनी सीट पर एसी की ठंडक कम या ज्यादा कर सकेंगे। रेल कोच फैक्ट्री में ऐसे कोच का निर्माण शुरू हो चुका है।

बढ़ा आम कोच का उत्पादन

रेलवे ने आम यात्रियों के लिए कोच का उत्पादन बढ़ा दिया है। कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में जनरल कोच का उत्पादन अन्य कोच के मुकाबले अधिक हो रहा है। यहां इस साल 1630 कोच बनाए जाने हैं। इसमें से 700 कोच जनरल हैं।


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