बैंकों के फंसे कर्ज वसूली में फिसड्डी साबित हुआ डीआरटी
ऋण वसूली ट्रिब्यूनल (डीआरटी) ने भले ही उद्योगपति विजय माल्या पर बकाया कर्जे की वसूली को लेकर सख्ती दिखा दी हो, लेकिन इसका अब तक का रिकॉर्ड संतोषजनक नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । ऋण वसूली ट्रिब्यूनल (डीआरटी) ने भले ही उद्योगपति विजय माल्या पर बकाया कर्जे की वसूली को लेकर सख्ती दिखा दी हो, लेकिन इसका अब तक का रिकॉर्ड संतोषजनक नहीं है। उलटे तमाम कानूनी अधिकार देने के बावजूद पिछले तीन-चार वर्षो से बैंकों के फंसे कर्जे (एनपीए) की वसूली को लेकर डीआरटी का रिकॉर्ड बद से बदतर ही होता जा रहा है। वर्ष 2010-11 में डीआरटी में दायर मामलों में सिर्फ 21.55 फीसद राशि वसूलने में सफलता हासिल हुई थी। अब हालत यह है कि 10 फीसद मामलों में भी कर्ज नहीं वसूल हो पा रहा है।
हालांकि वित्त मंत्रालय कर्ज वसूली के लिए अब भी डीआरटी पर ही दांव लगाता हुआ दिख रहा है। छह नए डीआरटी की स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इनके लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति का काम जारी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी आम बजट 2016-17 में घोषणा की थी कि एनपीए घटाने के लिए डीआरटी को मजबूत बनाया जाएगा। जबकि वित्त मंत्रालय के आंकड़े साफ तौर पर बताते हैं कि डीआरटी का प्रदर्शन लगातार खराब होता जा रहा है।
वर्ष 2012-13 में डीआरटी में 24,177 मामले दर्ज किए गए थे। इनसे 3,557 करोड़ रुपये (14.71 फीसद) वसूले गए थे। इसके बाद के वर्ष में ट्रिब्यूनल के पास 45,350 मामले भेजे गए थे, जिनसे सिर्फ 4,460 करोड़ रुपये (9.83 फीसद) वसूलने में सफलता हासिल मिली है।
असल में एनपीए वसूली के लिए सरकार के सारे तंत्र लगातार नाकाम होते जा रहे हैं। सरफेसी कानून (सिक्योरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल असेट्स एंड इनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंट्रेस्ट एक्ट) के तहत कर्ज वसूली की रफ्तार भी धीमी हो रही है। वर्ष 2010-11 में इस कानून से 36.46 फीसद कर्ज वसूलने में सफलता मिली थी। पिछले वर्ष जितने मामले गए थे, उनमें से सिर्फ 25.56 फीसद मामलों में कर्ज वसूली हो पाई थी। यह स्थिति तब है जब पांच वर्षो में सरफेसी कानून को मजबूत बनाने के लिए सरकार की तरफ से कई प्रयास हो चुके हैं। पिछले दिनों फंसे कर्जे पर संसद की समिति ने भी डीआरटी और सरफेसी कानून की निष्कि्रयता पर गहरी चिंता जताई थी।