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महंगाई ने फिर उठाया सिर, कैसे आएंगे अच्छे दिन?

चुनावी मौसम में शांत रहने के बाद महंगाई एक बार फिर सिर उठाने लगी है। आलू और कुछ अन्य सब्जियों जैसे खाद्य उत्पादों के भाव बढ़ने से थोक महंगाई की दर बढ़कर मई में 6.01 प्रतिशत पर पहुंच गई। बीते पांच महीनों में इसका यह सबसे ऊंचा स्तर है। थोक मूल्यों वाली मुद्रास्फीति की यह दर इस साल अप्रैल में 5.2 व पि

By Edited By: Updated: Tue, 17 Jun 2014 09:35 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी मौसम में शांत रहने के बाद महंगाई एक बार फिर सिर उठाने लगी है। आलू और कुछ अन्य सब्जियों जैसे खाद्य उत्पादों के भाव बढ़ने से थोक महंगाई की दर बढ़कर मई में 6.01 प्रतिशत पर पहुंच गई। बीते पांच महीनों में इसका यह सबसे ऊंचा स्तर है। थोक मूल्यों वाली मुद्रास्फीति की यह दर इस साल अप्रैल में 5.2 व पिछले साल मई में 4.58 प्रतिशत थी। मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर पहली चुनौती महंगाई ने दी है।

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई में प्राथमिक वस्तुओं व खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर क्रमश: 8.58 और 9.50 प्रतिशत रही है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित इस महंगाई दर में प्राथमिक वस्तुओं का वजन 20.11 व खाद्य वस्तुओें का 14.33 प्रतिशत है।

खाद्य वस्तुओं में आलू के भाव इस साल अप्रैल के मुकाबले 19.23 व प्याज के 8.53 प्रतिशत और सभी सब्जियों के औसतन 6.7 प्रतिशत बढ़े। काफी व चाय के साथ-साथ पोल्ट्री और मछली के दामों में भी इस महीने वृद्धि दर्ज की गई है।

अगर मई, 2013 के मुकाबले देखें तो समीक्षाधीन महीने में आलू 31.44, चावल 12.75, अनाज 7.67, फल 19.40 व ईधन उत्पाद 10.53 प्रतिशत महंगे हुए हैं। थोक महंगाई दर में यह वृद्धि ऐसे समय हुई है, जब मई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर तीन माह के निचले स्तर 8.28 प्रतिशत पर आ गई है। खुदरा महंगाई में गिरावट आने से ब्याज दरों में कटौती की आस बढ़ी थी। मगर थोक महंगाई के सिर उठाने से सस्ते कर्ज की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।

इस बारे में उद्योग चैंबर सीआइआइ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि खाद्य वस्तुओं व ईधन के महंगा होने से महंगाई में वृद्धि चिंता का विषय है। औद्योगिक उत्पादन को गति देने के लिए बढ़ती महंगाई को काबू करना जरूरी है, क्योंकि इसके अधिक होने से ब्याज दरों का स्तर भी ऊंचा रहा है। इससे उद्योग जगत के लिए पूंजी की लागत बढ़ गई है। इसके चलते आर्थिक विकास दर पर असर पड़ रहा है। इसलिए विकास दर को पटरी पर लाने के लिए खाद्य महंगाई को काबू करने पर जोर देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार को खाद्य महंगाई पर काबू पाने के लिए मॉडल कृषि उत्पाद मार्केटिंग कमेटी कानून को लागू करना चाहिए। उन्नत आपूर्ति श्रृंखला बनानी चाहिए। कृषि में निवेश बढ़ाने के अलावा व खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना चाहिए।

पांच माह में महंगाई दर

महीना , मुद्रास्फीति दर

जनवरी, 5.11

फरवरी, 5.03

मार्च, 6.00

अप्रैल, 5.20

मई, 6.01

(सभी आंकड़े प्रतिशत में)

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