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स्पाइसजेट जैसे संकटों पर लगाम लगाएगी सरकार

केंद्र सरकार की मदद के बूते दो दिन बाद निजी क्षेत्र की बजट एयरलाइन स्पाइसजेट की उड़ानें गुरुवार को पटरी पर आती दिखाई दीं। हालांकि इन्हें पूरी तरह नियमित होने में अभी वक्त लग सकता है। स्पाइसजेट प्रबंधन ने सभी 230 दैनिक उड़ानों का भरोसा दिया है। वहीं, भविष्य में

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 18 Dec 2014 09:17 PM (IST)

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की मदद के बूते दो दिन बाद निजी क्षेत्र की बजट एयरलाइन स्पाइसजेट की उड़ानें गुरुवार को पटरी पर आती दिखाई दीं। हालांकि इन्हें पूरी तरह नियमित होने में अभी वक्त लग सकता है। स्पाइसजेट प्रबंधन ने सभी 230 दैनिक उड़ानों का भरोसा दिया है। वहीं, भविष्य में कोई एयरलाइन यात्रियों के साथ ऐसा खिलवाड़ न करने पाए, इसके लिए सरकार ने भी कमर कस ली है। इसके तहत जल्द ही हवाई किरायों की न्यूनतम व अधिकतम दरें लागू की जा सकती हैं। इसका मकसद एयरलाइनों की रियायती स्कीमों पर रोक लगाने के साथ यात्रियों को उनके शोषण से बचाना है।

सूत्रों के अनुसार बात चाहे दो साल पहले बंद हुई किंगफिशर की हो, अथवा वर्तमान में वित्तीय संकट का सामना कर रही स्पाइसजेट की। दोनों ही मामलों में एयरलाइनों ने प्रतिस्पद्र्धा के चक्कर में जरूरत से ज्यादा जोखिम लिए और स्वयं के साथ-साथ यात्रियों को भी मुसीबत में डाला। किंगफिशर ने यात्रियों को सुविधाओं के सब्जबाग दिखाए तो स्पाइसजेट ने कौडि़यों के भाव पर एडवांस बुकिंग कर प्रतिस्प‌िर्द्धयों को मात देने की कोशिश की। दोनों ही एयरलाइनों ने यात्रियों की मजबूरी का जमकर फायदा उठाया।

उन्होंने एडवांस में जरूरत से ज्यादा सस्ते टिकट बेचे, जबकि तत्काल बुकिंग पर दुगना-तिगुना किराया वसूला। बाद में जब हालात काबू से बाहर हो गए तो सरकार से मदद की गुहार लगाने लगीं। दोनों ही मर्तबा सरकार ने विमानन उद्योग के व्यापक हित के मद्देनजर राहत देने का प्रयास किया। हालांकि इसके बावजूद किंगफिशर को बचाया नहीं जा सका। स्पाइसजेट के उबरने के आसार भी बहुत उज्ज्वल नहीं हैं, क्योंकि बात वित्तीय संकट की नहीं, बल्कि प्रबंधन की मंशा की है।

यही वजह है कि सरकार मदद का हाथ बढ़ाने के साथ ही यह भी सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य में किसी एयरलाइन प्रमोटर को इस तरह की हरकत करने का मौका न मिले। छह सूत्री राहत फार्मूले के जरिये स्पाइसजेट को अपना घर दुरुस्त करने के लिए आठ हफ्ते की मोहलत दी गई है। मगर इसी के साथ एक नियामक फार्मूला तैयार किया जा रहा है, जिसके लागू होने पर स्पाइसजेट ही नहीं, किसी भी एयरलाइन के लिए किरायों में मनमानी मुश्किल हो जाएगी। इसके तहत प्रत्येक एयरलाइन के लिए रूटवार न्यूनतम एवं अधिकतम किराये तय किए जाएंगे।

अभी देश में हवाई किरायों के नियमन की कोई व्यवस्था नहीं है। विमानन क्षेत्र का नियामक डीजीसीए केवल चेतावनी जारी कर सकता है या ज्यादा से ज्यादा गलत तरह से वसूले गए किराये की वापसी करा सकता है। नियामक को आपात स्थितियों को छोड़ किरायों की सीमा तय करने का अधिकार उसे नहीं है।

यात्री किराये बढ़े, समस्याएं भी

स्पाइसजेट के टिकटों की पहले से बुकिंग करा चुके यात्रियों के लिए नए साल की छुट्टियों का मजा किरकिरा होता नजर आ रहा है। यात्री इस एयरलाइन के टिकट धड़ाधड़ रद करा रहे हैं, जबकि कुछ यात्री दूसरी एयरलाइनों में शिफ्ट कर रहे हैं। इसे देखते हुए अन्य एयरलाइनों ने अपने किराये बढ़ा दिए हैं। पिछले साल दिसंबर में छुट्टियों के दौरान दिल्ली-मुंबई के लिए दस हजार का टिकट लेने वाले यात्रियों को इस साल अब करीब पंद्रह हजार चुकाने पड़ रहे हैं। कुछ एयरलाइनें तो अब 25 हजार रुपये तक का किराया वसूल रही हैं।

लोकसभा में उठा मामला

स्पाइसजेट संकट का मामला गुरुवार को संसद में भी उठा। लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस ने एयरलाइन को बचाने के लिए सरकार से दखल की मांग की। शून्यकाल में पार्टी सांसद सौगत राय ने कहा हवाई किराये काफी बढ़ गए हैं, लिहाजा सरकार को कुछ करना चाहिए।

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