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बीमा बिल पर विपक्ष को मनाने में जुटी सरकार

बहुप्रतीक्षित बीमा विधेयक को लेकर विरोधी दलों की बढ़ती एकजुटता राजग सरकार के लिए काफी परेशानी पैदा कर सकती है। यही वजह है कि रविवार को संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों से आग्रह किया है कि वे राष्ट्र हित को ध्यान में रखते हुए बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 200

By Edited By: Updated: Mon, 04 Aug 2014 10:18 AM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बहुप्रतीक्षित बीमा विधेयक को लेकर विरोधी दलों की बढ़ती एकजुटता राजग सरकार के लिए काफी परेशानी पैदा कर सकती है। यही वजह है कि रविवार को संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों से आग्रह किया है कि वे राष्ट्र हित को ध्यान में रखते हुए बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2008 को पारित करवाने में सरकार की मदद करें ताकि बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 26 फीसद से बढ़ाकर 49 फीसद करने का रास्ता साफ हो सके।

यह और बात है कि बीमा क्षेत्र से जुड़े सभी श्रमिक संगठनों ने एफडीआइ सीमा बढ़ाने संबंधी इस विधेयक के खिलाफ सोमवार 4 अगस्त, 2014 को हड़ताल पर जाने का एलान किया है। इनमें भाजपा से संबंधित भारतीय मजदूर संघ भी शामिल है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता गुरुदास दासगुप्ता ने बताया कि बीमा क्षेत्र में काम करने वाले एक लाख कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे। पूरे देश में सरकार की राष्ट्रविरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि दुनिया भर में निजी बीमा कंपनियों ने कई तरह के घोटाले किए हैं। अगर उन्हें भारत में अपने पैर फैलाने की इजाजत दी जाती है तो यह भारत की जनता व जीवन बीमा करवाने वाले निवेशकों के हितों के खिलाफ होगा। इससे देश के वित्तीय क्षेत्र को गहरा आघात लगेगा।

नायडू की तरफ से कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों को जारी अपील में कहा गया है कि बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाना काफी जरूरी हो गया है। इससे बीमा क्षेत्र में नया निवेश आएगा जो बीमा का प्रसार बढ़ाने और ज्यादा लोगों को बीमा कवरेज देने के लिए जरूरी है। नायडू ने कांग्रेस को उसकेपूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के उस बयान की भी याद दिलाई है जिसमें उन्होंने बीमा संशोधन विधेयक पेश करने का स्वागत किया था। चिदंबरम ने कहा था कि सरकार एक सतत प्रक्रिया है और पिछली सरकार के प्रयासों को नई सरकार को आगे बढ़ाते रहना चाहिए। यही नहीं बीमा कानून में संशोधन सरकार संसदीय समिति की सिफारिशों के तहत कर रही है। समिति में हर दल के प्रतिनिधि थे। ऐसे में कांग्रेस व अन्य दलों के नेताओं को बीमा विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेना चाहिए और अपने सुझाव देने चाहिए। सरकार पूरी कोशिश करेगी कि उनके सुझावों व चिंताओं को सही स्थान दिया जाए।

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