रक्षा में 49 फीसद विदेशी निवेश को मंजूरी की तैयारी
केंद्र सरकार रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] को लेकर गंभीर हो गई है। सरकार की मंशा रक्षा इकाइयों में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड [एफआइपीबी] के जरिये मौजूदा 26 प्रतिशत एफडीआइ सीमा 4
By Edited By: Updated: Fri, 30 May 2014 10:07 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र सरकार रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] को लेकर गंभीर हो गई है। सरकार की मंशा रक्षा इकाइयों में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड [एफआइपीबी] के जरिये मौजूदा 26 प्रतिशत एफडीआइ सीमा 49 फीसद तक ले जाने की है। इसके लिए सरकार के भीतर विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति व संवर्द्धन विभाग [डीआइपीपी] ने सभी मंत्रालयों को एक कंसल्टेंसी नोट भेज कर इस पर विचार मांगे हैं।
डीआइपीपी सूत्रों के मुताबिक रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ की मौजूदा स्थिति को बदलने के लिए संवेदनशीलता के लिहाज से अलग-अलग रक्षा इकाइयों के लिए भिन्न-भिन्न नियम हो सकते हैं। लेकिन उनमें सौ फीसद एफडीआइ की मंजूरी एफआइपीबी के जरिये ही कराने का प्रस्ताव है। मौजूदा नियमों के मुताबिक रक्षा यूनिटों में 26 फीसद एफडीआइ की मंजूरी है। इससे अधिक एफडीआइ को मंजूरी देने का अधिकार सुरक्षा पर कैबिनेट की समिति के पास है। लेकिन अब सरकार इस सीमा को बढ़ाकर 49 फीसद करना चाहती है। हालांकि वित्त मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि इस तरह का कोई भी फैसला बजट से पहले होने की उम्मीद नहीं है। संकेत हैं कि अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी बड़े नीतिगत फैसलों की घोषणा अब सीधे बजट में ही होगी। इसीलिए डीआइपीपी विचार-विमर्श की इस प्रक्रिया को बजट से पहले पूरी कर लेना चाहता है। संप्रग की पिछली सरकार ने भी इस तरह का एक प्रस्ताव तैयार कर रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ को 26 से 49 फीसद तक ले जाने की कोशिश की थी। लेकिन उस वक्त खुद रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इसका कड़ा विरोध किया था। रक्षा मंत्रालय के विरोध के बाद इस क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव वापस ले लिया गया था।
नई सरकार में निर्मला सीतारमण के वाणिज्य व उद्योग मंत्री बनने के बाद मंत्रालय का यह पहला बड़ा कदम है। नोट के मुताबिक एफडीआइ लाने वाली विदेशी कंपनी अगर अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी भी भारत लाती है तो वह घरेलू कंपनी का अधिग्रहण भी कर सकती है। हालांकि पोर्टफोलियो निवेशक जिनमें विदेशी संस्थागत निवेशक [एफआइआइ] भी शामिल हैं को इन इकाइयों में 49 फीसद से अधिक निवेश की मंजूरी नहीं होगी। सरकार का मानना है कि एफडीआइ की सीमा में वृद्धि से रक्षा इकाइयों में मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार तेज की जा सकेगी। इससे पूरे मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की विकास की गति बढ़ेगी। 15 पेज के इस नोट पर सभी मंत्रालयों की राय मिलने के बाद ही सरकार आगे कदम बढ़ाएगी।
डीआइपीपी के अधिकारी बताते हैं कि सिर्फ रक्षा में एफडीआइ की सीमा बढ़ाने की ही योजना नहीं है, बल्कि सरकार की तैयारी ई-कॉमर्स समेत उन सभी क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोलने की है, जिनमें एफडीआइ आने की संभावनाएं हैं। अलबत्ता वित्त मंत्रालय से मिल रहे संकेतों को मुताबिक इस तरह के किसी भी फैसले की घोषणा बजट में की जाएगी। बजट से पहले ऐसे नीतिगत फैसले होने की उम्मीद नहीं है। पढ़ें : आधुनिक अर्थव्यवस्था की राह पर चले भारत : अमेरिकी थिंक टैंक