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आंकड़ों ने लगाई छलांग, महंगाई दर हुई बेकाबू

कारखानों की रफ्तार के रसातल में जाने के बाद अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार के लिए दूसरी बुरी खबर है। बमुश्किल काबू में आई महंगाई की दर ने फिर से पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। आलू, प्याज समेत अन्य सब्जियों की बढ़ती कीमतों के चलते जुलाई में महंगाई की दर 5.7

By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

नई दिल्ली। कारखानों की रफ्तार के रसातल में जाने के बाद अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार के लिए दूसरी बुरी खबर है। बमुश्किल काबू में आई महंगाई की दर ने फिर से पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। आलू, प्याज समेत अन्य सब्जियों की बढ़ती कीमतों के चलते जुलाई में महंगाई की दर 5.79 फीसद पर पहुंच गई है। पिछले चार महीने में यह पहला मौका है जब थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर ने पांच फीसद की सीमा तोड़ी है।

महंगाई बढ़ाने में सर्वाधिक भूमिका खाद्य उत्पादों ने निभाई है। इनके चलते खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 12 फीसद के नजदीक पहुंच गई है। महंगाई बढ़ाने में प्याज की सबसे बड़ी भूमिका रही है। पिछले साल के मुकाबले जुलाई में प्याज के दाम 145 फीसद ऊपर चढ़े हैं। पिछले कुछ महीनों से प्याज की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। इससे पिछले महीने यानी जून में प्याज की कीमतों में जून 2012 के मुकाबले 114 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। हरी सब्जियों के दाम भी पिछले साल के मुकाबले इस जुलाई में 46.59 फीसद ऊपर हैं।

सिर्फ सब्जियां ही नहीं अनाज की कीमतों में भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है। सभी अनाजों के दाम में पिछली जुलाई के मुकाबले इस साल 17.66 फीसद ऊपर चढ़े हैं। अकेले चावल के दाम पिछले साल के मुकाबले 21 फीसद बढ़े हैं। अंडा, मांस-मछली के दामों में भी जुलाई में 11 फीसद की वृद्धि हुई।

इस साल मार्च के बाद यह पहला मौका है जब महंगाई दर पांच फीसद के ऊपर गई है। रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई की दर मार्च तक पांच फीसद रहने का अनुमान लगाया है। अपनी कर्ज नीति की तिमाही समीक्षा में बैंक ने माना कि बहुत अच्छे मानसून के बावजूद कीमतों में कमी की संभावना नहीं है। खासतौर पर सब्जियों की महंगाई के लगातार बने रहने की उम्मीद है।