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बैंकों की जमात में दो नए बैंक शरीक

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के तमाम सरकारी, निजी, विदेशी बैंकों की जमात में दो और बैंक अब जुड़ जाएंगे। ये दो बैंक हैं-आइडीएफसी व बंधन फाइनेंशियल। रिजर्व बैंक ने लगभग चार वर्षो की तैयारियों व अन्य अवरोधों के बाद आइडीएफसी लिमिटेड और बंधन फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को भारत में बैंकिंग कारोबार करने की सैद्धांतिक म

By Edited By: Updated: Wed, 02 Apr 2014 10:05 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के तमाम सरकारी, निजी, विदेशी बैंकों की जमात में दो और बैंक अब जुड़ जाएंगे। ये दो बैंक हैं-आइडीएफसी व बंधन फाइनेंशियल। रिजर्व बैंक ने लगभग चार वर्षो की तैयारियों व अन्य अवरोधों के बाद आइडीएफसी लिमिटेड और बंधन फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को भारत में बैंकिंग कारोबार करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। आइडीएफसी बुनियादी विकास के लिए वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराती है। बंधन माइक्रोफाइनेंस का काम करने वाली कंपनी है।

इंडिया पोस्ट यानी भारतीय डाक को बैंक खोलने की अनुमति देने के बारे में रिजर्व बैंक सरकार के साथ अलग से विचार-विमर्श करने के बाद फैसला करेगा। रिजर्व बैंक की तरफ से बताया गया है कि उसकी तरफ से गठित उच्चस्तरीय समिति ने यह सिफारिश की है कि इंडिया पोस्ट के आवेदन पर सरकार के साथ अलग से मशविरा होना चाहिए। हो सकता है कि रिजर्व बैंक अब इंडिया पोस्ट के आवेदन पर नई सरकार के गठन के बाद ही फैसला करे। मौजूदा सरकार के संचार मंत्री कपिल सिब्बल इंडिया पोस्ट को बैंक में तब्दील करने के पक्ष में हैं, लेकिन वित्त मंत्रालय की तरफ से इसका विरोध हो रहा है।

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के कार्यकाल में भले ही देश के बैंकों की स्थिति बहुत खराब हो चली है, लेकिन बुधवार के इस फैसले को सरकार आने वाले दिनों में अपनी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के तौर पर गिनाने की कोशिश करेगी। वर्ष 2003-04 के बाद पहली बार भारत में नए बैंक खोलने की अनुमति दी गई है। वर्ष 2010-11 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने नए बैंकिंग लाइसेंस देने की बात कही थी। लेकिन इस पर नीति बनाने और तमाम तरह की सहमति कायम करने में चार साल लग गए। चुनावी आचार संहिता लगने की वजह से ऐसा लग रहा था कि यह काम अगली सरकार के गठन के बाद ही होगा। लेकिन मंगलवार को चुनाव आयोग ने आरबीआइ को इसकी अनुमति दे दी थी।

केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी सूचना में कहा गया है कि सैद्धांतिक तौर पर इसकी मंजूरी देने के बाद इन दोनों कंपनियों को 18 महीने के भीतर अन्य औपचारिकताओं को पूरा करना होगा। इन दो कंपनियों को बैंकिंग लाइसेंस देकर आरबीआइ ने ज्यादा सतर्कता भरा कदम उठाया है। केंद्रीय बैंक के पास अभी रिलायंस, बिड़ला, बजाज समेत 25 कंपनियों व औद्योगिक समूहों के भी आवेदन लंबित हैं।

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