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जेटली ने दिया सरकार के सौ दिन के काम का हिसाब-किताब

विश्वास के साथ विकास-नरेंद्र मोदी सरकार के पहले सौ दिन का संदेश कुछ ऐसा ही है। सरकार का मानना है कि महंगाई की दर के नीचे का रुख करने और विकास दर में तेजी यह साबित कर रही है कि वह सही दिशा में कदम उठा रही है। फैसले लेने की रफ्तार में कमी से सुस्त हुई अर्थव्यवस्था ने जनता और निवेशकों का जो भरोसा तोड़ा था, अब वह फिर बहाल होने लगा है।

By Edited By: Updated: Sun, 31 Aug 2014 07:43 AM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। विश्वास के साथ विकास-नरेंद्र मोदी सरकार के पहले सौ दिन का संदेश कुछ ऐसा ही है। सरकार का मानना है कि महंगाई की दर के नीचे का रुख करने और विकास दर में तेजी यह साबित कर रही है कि वह सही दिशा में कदम उठा रही है। फैसले लेने की रफ्तार में कमी से सुस्त हुई अर्थव्यवस्था ने जनता और निवेशकों का जो भरोसा तोड़ा था, अब वह फिर बहाल होने लगा है।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि अर्थव्यवस्था में अब बदलाव के संकेत दिखने लगे हैं। पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़ों ने यह साबित किया है। सरकार के सौ दिन के कामकाज पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के हाल में लिए फैसलों से महंगाई की दर में कमी दिखने लगी है। कई क्षेत्रों में एफडीआइ नियमों में ढील और मैन्यूफैक्च¨रग को बढ़ावा देने के फैसले हुए हैं। सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार दिख रहा है। जेटली ने कहा कि पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.7 फीसद रहना अपने आप में उत्साहवर्धक है। वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि आने वाली तिमाहियों में सरकार के फैसलों का बड़ा असर दिखेगा।

गिनाए सरकार के फैसले

सरकार के पहले तीन महीनों के फैसले गिनाते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि रेलवे और रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ के नियमों में ढील दी गई, फैसले लेने की रफ्तार बढ़ी है, टैक्स विवादों को सुलझाने के लिए अलग से तंत्र की व्यवस्था और मैन्यूफैक्च¨रग व इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाने के उपाय किए गए हैं।

'नई सरकार को यह स्पष्ट था कि उसे किस दिशा में बढ़ना है। हम आर्थिक गतिविधियों का दायरा बढ़ाना चाहते थे। फैसले लेने की अड़चनें दूर करना, देश में व्यवसाय करने को आसान बनाना और महत्वपूर्ण उद्योग क्षेत्रों में नियम उदार बनाने के साथ सामाजिक विकास से जुड़े तमाम क्षेत्रों पर सरकारी खर्च की स्थिति को बनाए रखना हमारा उद्देश्य था।'

महंगाई पर लगा अंकुश

महंगाई का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि सरकार के शुरुआती कदमों से ही महंगाई को काबू पाने में मदद मिली। वैसे तो इस मौसम में आमतौर पर सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं। लेकिन, सरकार के प्रयासों की वजह से प्याज के दामों को एक निश्चित सीमा पर ही बढ़ने से रोक लिया गया। अगर कच्चे तेल (क्रूड) के दाम भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसी तरह गिरते रहे तो इसका लाभ भी आम जनता को ही मिलेगा।

राजकोषीय घाटा चुनौती

अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि पहली तिमाही में राजकोषीय घाटे में वृद्धि इसलिए दिख रही है क्योंकि इस अवधि में आमतौर पर राजस्व संग्रह कम होता है। साथ ही पिछले साल के आयकर रिफंड का भुगतान भी इस दौरान किया जाता है।

लिहाजा राजकोषीय घाटा बढ़ा हुआ लगता है। लेकिन, अब अगली तिमाहियों में राजस्व बढ़ेगा और सरकार राजकोषीय घाटे के 4.1 फीसद के लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगी। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने यह लक्ष्य तय किया था और मैंने एक चुनौती के रूप में उसे स्वीकार किया था।

भविष्य में उठाए जाने वाले कदम

विकास की इस रफ्तार को और तेज करने के संबंध में जेटली ने भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों का ब्योरा भी दिया। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही व्यापक विनिवेश की योजना सार्वजनिक करेगी। जीएसटी और बीमा बिल को पारित कराना सरकार के एजेंडा में ऊपर है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल पर भी सरकार सभी राजनीतिक दलों से बात करके इसमें कुछ रियायतें देने की संभावनाएं तलाशेगी।

बढ़ी है जवाबदेही

एक सवाल के जवाब में जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सभी मंत्री अपने मंत्रालयों में फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं। यह अधिकारों के केंद्रीकरण का मुद्दा है ही नहीं। लेकिन जब आपका प्रधानमंत्री बहुत अधिक सक्रिय हो और आपको फैसले लेने का पूरा अधिकार हो तो आपकी जवाबदेही भी अधिक हो जाती है।

जन धन योजना का जिक्र

जेटली ने बताया कि प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत खोले जा रहे खातों की संख्या बताती है कि जनता इसे लेकर कितनी उत्साहित है। शनिवार तक 2.14 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं। कोल ब्लाकों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जेटली ने कहा कि यह सही है कि इसका असर अर्थव्यवस्था पर होगा। लेकिन इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि कोल ब्लाकों का आवंटन बेहद पारदर्शी तरीके से नियमों के मुताबिक होना चाहिए।

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वादे जो पूरे हुए

महंगाई और भ्रष्टाचार

-500 करोड़ रुपये का मूल्य स्थिरता कोष गठित

-राज्यों की मदद से जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई

-आपूर्ति बढ़ाने के लिए उत्पादकता वृद्धि के उपाय

-राज्यों को 50 लाख टन चावल की अतिरिक्त आपूर्ति

-अनाज की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए खुले बाजार में आवंटन

-अनाज की आर्थिक लागत तय करने को कमेटी गठित

-काले धन पर एसआइटी गठित

-सुप्रीम कोर्ट ने एसआइटी का शुरुआती कामकाज सराहा

बुनियादी ढांचे का विकास

-ग्रामीण सड़कों के लिए 14,389 करोड़, राजमार्गो के लिए 37,880 करोड़ व रेलवे को बजट से 30,100 करोड़ रुपये का आवंटन

-पूर्वोत्तर भारत और नक्सल इलाकों में टेलीकॉम नेटवर्क का विस्तार

-डिजिटल इंडिया की शुरुआत, 500 करोड़ रुपये का शुरुआती आवंटन

-स्किल डेवलपमेंट और ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम के लिए 100 करोड़ रुपये का आवंटन

-100 स्मार्ट सिटी बनाने का फैसला

त्वरित फैसले

-मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह व मंत्रियों के समूह की प्रथा समाप्त

-विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय बैठाने को एकीकरण

-फैसले लेने वाले लोगों की संख्या कम हुई

-परियोजनाओं व स्कीमों को मंजूर करने के अधिकारों में संशोधन

संस्थागत सुधार

-न्यायिक सुधारों के तहत जजों की नियुक्ति कानून में संशोधन

-योजना आयोग के स्थान पर नई संस्था स्थापित करने का फैसला

-व्यय प्रबंधन आयोग का गठन

मध्य वर्ग की चाहत पूरी

-आयकर अधिनियम के 80सी के तहत निवेश पर छूट की सीमा एक से डेढ़ लाख

-कर छूट की सीमा को 50,000 रुपये बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये

-वरिष्ठ नागरिकों की कर छूट सीमा भी ढाई से तीन लाख रुपये

-विदेश से आने वाले यात्रियों का बैगेज अलाउंस 35,000 रुपये से बढ़ाकर 45,000 रुपये

बना निवेश का माहौल

-रेल व रक्षा में एफडीआइ के नियम उदार

-बीमा में एफडीआइ की सीमा में वृद्धि का फैसला

-रीयल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट को रियायत

-हाउसिंग के विकास के लिए एफडीआइ के नियम उदार, बिल्ट अप एरिया की सीमा घटी

नदी और जल संरक्षण

-स्वच्छ गंगा के उद्देश्य से नमामि गंगा कार्यक्रम शुरू, प्रारंभिक आवंटन 2037 करोड़ रुपये

-नदियों को जोड़ने और घाटों के विकास के लिए डीपीआर पर काम शुरू

-जल संसाधन संरक्षण के काम में तेजी लाने के लिए प्रशासनिक पुनर्गठन