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इन सुंदर बालाओं से रहें सावधान, ये है महिला वसूली गैंग

दुनिया भर में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भारत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। आये दिन समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों पर महिलाओं के साथ हो रहे दुष्कर्म की घटनाएं सामने आती हैं। ऐसे वक्त पर पुरुष द्वारा किये जाने वाला एक काम महिलाओं बखूबी निभा रही हैं। रिकवरी एजेंट का नाम सुनते ही दिमाग में एक हट्टे

By Edited By: Updated: Wed, 19 Mar 2014 11:18 AM (IST)
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नई दिल्ली। दुनिया भर में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भारत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। आये दिन समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों पर महिलाओं के साथ हो रहे दुष्कर्म की घटनाएं सामने आती हैं। ऐसे वक्त पर पुरुष द्वारा किये जाने वाला एक काम महिलाओं बखूबी निभा रही हैं।

रिकवरी एजेंट का नाम सुनते ही दिमाग में एक हट्टे कट्टे, रफ एंड टफ बात करने वाले या किसी टपोरी जैसे व्यक्ति की तस्वीर आती है लेकिन इन सबकी फौज रखने वाली रिकवरी एजेंसियों को वसूली के मामले में पटखनी दी है एक ऐसी रिकवरी एजेंसी ने जिसमें एजेंट के रूप में काम करती हैं सिर्फ लड़कियां।

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ये लड़कियां देखने में दूसरी लड़कियों की तरह ही नाजुक और खूबसूरत दिखती हैं, लेकिन उनके इरादे काफी सख्त होते हैं। सिर्फ बैंकों के लिए रिकवरी का काम करने वाली इस अधिकृत जब्ती एवं वसूली एजेंसी ने वित्त वर्ष 2007-08 में सरकारी बैंकों को 700 करोड़ रुपये वसूले हैं और इस वर्ष उसका लगभग 1000 करोड़ रुपये वसूलने का इरादा है।

ये है मंजू भाटिया की दुनिया। मंजू भाटिया वसूली रिकवरी कंपनी की संयुक्त प्रबंध निदेशक है जहां पूरी तरह से महिलाओं का ही स्टाफ है। एक अंग्रेजी वेबसाइट में प्रकाशित खबर के मुताबिक, मंजू कहती हैं कि महिलाओं कोदेश भर के हर क्षेत्र में सम्मान मिल रहा है। हमारे बैंकों को देखें, आईसीआईसीआई बैंक से लेकर देना बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का परिचालन महिला की अगुवाई में हो रहा है।

27 वर्षीय भाटिया का वसूली गैंग (रिकवरी कंपनी) देश के 26 इलाकों में मौजूद है। वह 250 कर्मचारियों के साथ सालाना 500 करोड़ रुपये की वसूली कर रही हैं। यहां तक पहुंचने में इस कंपनी को करीब 8 साल का समय लगा है। जब इस कंपनी की शुरुआत हुई थी तो इसकी मासिक आय 25,000 रुपये, आठ कर्मचारी और एक क्लाइंट (एसबीआई) था। आज इसके क्लाइंट्स की सूची में कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं।

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16 साल की उम्र में भाटिया ने इंदौर में एक फार्मा कंपनी में रिसेप्शनिस्ट का काम शुरू किया था। 12वीं की परीक्षा के आखिरी दिन यानी 2003 में उन्होंने बिना वक्त गंवाये कच्चे माल की ट्रेडिंग और अकाउंट का काम संभाल लिया। दो साल के भीतर वह बिजनेस की अंदरूनी बातों को समझ गई जैसे निर्यात का लाइनेंस कैसे लिया जाए और ग्राहक कैसे बनाए जाएं। ये सब उन्होंने बेचलर ऑफ लॉ पढ़ते समय सीख लिया। उसी वक्त उनके बॉस और पारिवारिक मित्र पराख शाह ने उनसे अपनी लोन रिकवरी कंपनी वसूली में मदद करने के लिए कहा। भाटिया ने माना है कि सिर्फ बैंकों और ग्राहकों के बीच संवाद की कमी के कारण गलतफहमी पैदा होती है। और महिलाओं से बेहतर संवाद कौन कर सकता है?