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नहीं होगा आइओसी में विनिवेश: मोइली

दो दिन पहले ही विनिवेश से 40 हजार करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य को हासिल करने की योजना बना रहे वित्त मंत्रालय को करारा झटका लगा है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने तेल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल [आइओसी] के विनिवेश प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली के विरोध की वजह से विनिवेश पर गठित मंत्रियों के उच्चाधिकार प्राप्त समूह [ईजीओएम] ने कंपनी के शेयर बेचने का विचार फिलहाल त्याग दिया।

By Edited By: Updated: Thu, 09 Jan 2014 08:39 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दो दिन पहले ही विनिवेश से 40 हजार करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य को हासिल करने की योजना बना रहे वित्त मंत्रालय को करारा झटका लगा है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने तेल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल [आइओसी] के विनिवेश प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली के विरोध की वजह से विनिवेश पर गठित मंत्रियों के उच्चाधिकार प्राप्त समूह [ईजीओएम] ने कंपनी के शेयर बेचने का विचार फिलहाल त्याग दिया।

ईजीओएम की बैठक के बाद मोइली ने बस इतना बताया कि आइओसी में विनिवेश फिलहाल नहीं होगा। इसे टाल दिया गया है। माना जा रहा है कि बाजार की मौजूदा हालात को देखते हुए ही मोइली ने इसे स्थगित करने का सुझाव दिया है। आइओसी की सरकारी हिस्सेदारी बेचने के लिए जब अंतरराष्ट्रीय स्तर के निवेशकों से चर्चा की गई थी तब उन्होंने भी इसका विरोध किया था। निवेशकों का कहना था कि ऐसे समय जब भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है ऐसा करना ठीक नहीं होगा। चुनाव के बाद बदले माहौल का असर तेल कंपनियों पर भी पड़ेगा। ऐसे में आइओसी जैसी कंपनी को शेयर बाजार में नहीं उतारा जाना चाहिए।

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वैसे, ईजीओएम की बैठक अगले हफ्ते फिर होगी। वित्त मंत्रालय आइओसी में दस फीसद शेयर बेच कर 4,500 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल करना चाहता है। मगर पेट्रोलियम मंत्रालय की राय है कि मौजूदा बाजार मूल्य आइओसी की क्षमता को देखते हुए सही नहीं है। कंपनी का बाजार मूल्य अभी 48 हजार करोड़ रुपये है, जबकि इसकी दो नई रिफाइनरियों पर ही 30 हजार करोड़ रुपये की लागत आ रही है। आइओसी दूसरी कंपनंी है जिसमें विनिवेश के वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव का विरोध हुआ है। इससे पहले कोल इंडिया में विनिवेश का काफी विरोध हो रहा है। कोल इंडिया के श्रमिक संगठन इसके सख्त खिलाफ हैं। इसकी वजह से सरकार दो टूक फैसला नहीं कर पा रही है। बहरहाल, अब इस वित्त वर्ष में विनिवेश से 40 हजार करोड़ रुपये का राजस्व हासिल करने के मंसूबे पर संशय और बढ़ गया है।