कर्ज माफी घोटाला: दोषियों को पकड़ नहीं पा रहे बैंक
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। किसान कर्ज माफी योजना में घोटाले पर भले ही देश की राजनीति में उबाल हो, लेकिन बैंकों के कान पर जूं नहीं रेंग रही। हद यह है कि जब भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ने देश के बैंकों को इस स्कीम में हुए गड़बड़झाले को एक महीने में दूर करने को कहा तो सभी बैंक चुप्पी साध कर बैठ गए। समय सीमा खत्म होने के बाद अ
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। किसान कर्ज माफी योजना में घोटाले पर भले ही देश की राजनीति में उबाल हो, लेकिन बैंकों के कान पर जूं नहीं रेंग रही। हद यह है कि जब भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ने देश के बैंकों को इस स्कीम में हुए गड़बड़झाले को एक महीने में दूर करने को कहा तो सभी बैंक चुप्पी साध कर बैठ गए। समय सीमा खत्म होने के बाद आरबीआइ को दोबारा इस बारे में अधिसूचना जारी करनी पड़ी है। मगर ज्यादातर बैंक इस घोटाले को लेकर अपने अधिकारियों और खातों की जांच करने वाले ऑडिटरों के खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।
बैंक अपने तर्क दे रहे हैं। दिल्ली मुख्यालय स्थित एक सरकारी बैंक के एक प्रमुख अधिकारी के मुताबिक, 'नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] को सिर्फ 90 हजार खातों की जांच करने में दो वर्ष का समय लग गया। लेकिन बैंकों को साढ़े तीन करोड़ खातों की जांच महज एक महीने में पूरा करने को कहा गया है।' बैंकों की मुश्किल यह है कि इन खातों की जांच-पड़ताल ऑडिटर पिछले चार वर्षो से कर रहे हैं। इन पर स्वयं आरबीआइ की मुहर लग चुकी है। अब दोबारा उन्हीं खाता-बही की जांच करने को कहा जा रहा है। बैंकों का कहना है कि केंद्रीय बैंक को यह भी बताया चाहिए कि यह जांच किस आधार पर हो।