ऐसी आय जिन पर भारत में करदाता को नहीं देना पड़ता कोई टैक्स
आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 10 में 50 क्लॉज हैं, जिसमें कुल 108 तरह की आय बताई गईं हैं जो कर योग्य नहीं होती हैं
आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 10 में 50 क्लॉज हैं, जिसमें कुल 108 तरह की आय बताई गईं हैं जो कर योग्य नहीं होती हैं। सामान्य करदाता इन जटिल धाराओं को पढ़ने और इनके कार्यान्वयन में सक्षम नहीं होते हैं। www.jagran.com अपने टैक्स एक्सपर्ट की सहायता से अपने पाठकों को ऐसी आय के विषय में बता रहा है जिनपर कोई भी कर नहीं लगता यानि जो आय पूरी तरह से करमुक्त होती हैं।
Emunshe.com के फाइनेन्शियल एनालिस्ट अंकित गुप्ता के मुताबिक आम करदाता का सरोकार निश्चित तौर पर सभी 108 तरह की करमुक्त आय से नहीं होता है। लेकिन कुछ आय ऐसी होती हैं जिनपर आम करदाता अपना टैक्स बचा सकता है। करमुक्त आय के प्रावधानों में हर साल बजट के दौरान फाइनेंस बिल के माध्यम से परिवर्तन होता रहता है। हर साल कुछ नई आय इसमें जोड़ दी जाती हैं और कुछ को हटा दिया जाता है। वर्ष 2016 में करदाता के लिए कुल 108 की आय ऐसी हैं जो करमुक्त आय के अंतर्गत आती हैं।
निम्न तरह की आय पर नहीं लगता कोई इंकम टैक्स
1. लाभांश से होने वाली आय पर – किसी भी कंपनी की ओर से शेयरधारकों को दिए जाने वाले लाभांश पर किसी तरह का आयकर नहीं लगता है। कंपनी पहले ही डिविडेंड डिस्ट्रीब्युशन टैक्स के रूप में इसका भुगतान कर देती है। ऐसे में करदाता को किसी भी तरह के लाभांश या टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड पर मिलने वाले रिटर्न पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
2. PF और PPF पर मिलने वाले ब्याज पर - पीपीएफ में निवेश की गई राशि पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है। साथ ही इस पर मिलने वाले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इसी तरह मैच्योरिटी पर भी किसी तरह का कोई टैक्स करदाता को नहीं देना होता है। इस तरह पीएफ और पीपीएफ पर निवेश EEE यानि एक्जेम्प्ट, एक्जेम्प्ट, एक्जेम्प्ट श्रेणी में आता है।
3. कृषि से होने वाली आय पर – कृषि से होने वाली 5000 रुपए सालाना तक की आय करमुक्त होती है। नौकरीपेशा करदाता यदि अपनी आय का ब्यौरा देते समय अगर अन्य आय के स्रोत में कृषि से होने वाली आय दर्ज करता है तो 5000 रुपए तक की आय करमुक्त मानी जाएगी
4. LIC में निवेश की गई राशि – PF और PPF की तरह ही LIC में भी निवेश की गई राशि EEE कैटेगरी में आती है। ऐसे में करदाता को LIC की मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि पर कोई टैक्स नहीं देना होता है।
5. साझेदारी फर्म से होने वाली आय पर – अगर करदाता किसी साझेदारी फर्म में साझेदार है तो फर्म से मिलने वाली आय पर उसे किसी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होता है। कंपनी साझेदार की ओर से पहले ही तमाम तरह के कर दायित्व की पूर्ति करती है।
इसके अतिरिक्त नौकरीपेशा करादाताओं की सैलरी में HRA, ट्रांस्पोर्ट एलाउंस जैसे तमाम हेड करमुक्त होते हैं। नियोक्ता कर्मचारी की ओर से कर दायित्व का ध्यान रखते हुए टीडीएस काट लेता है।
उपरोक्त आय के अतिरिक्त भी तमाम ऐसी आय होती हैं जिन पर टैक्स नहीं लगता है। इंकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 में इन सभी का जिक्र है।