माल्या के कारोबारी मॉडल में हो सकती है खोट : अरुण जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किंगफिशर एयरलाइन्स के विजय माल्या के बिजनेस मॉडल पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत में विमानन क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
वाशिंगटन, (पीटीआई)। उद्योगपति विजय माल्या की बढ़ती परेशानियों के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किंगफिशर एयरलाइंस के 'कारोबारी मॉडल' पर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने कहा है कि भारत में एयरलाइन सेक्टर कुल मिलाकर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। तमाम विमानन कंपनियां अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। लंबे समय से बंद किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक माल्या पर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बकाया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कई समन की अनदेखी करते हुए वह इस समय लंदन में हैं।
जेटली ने यहां माल्या से जुडे़ एक सवाल पर कहा कि वह इस पर कोई अंतिम राय नहीं दे रहे हैं। ऐसा कंपनी विशेष के कारोबारी मॉडल के कारण हो सकता है। जहां तक वसूली का सवाल है तो मामले में बैंक सभी संभव कदम उठा रहे हैं। जांच एजेंसियां यह भी देख रही हैं कि कहीं इसमें किसी दंडात्मक प्रावधान का उल्लंघन तो नहीं हुआ है।
मनी लांड्रिंग से जुड़े एक मामले की जांच में माल्या ने तीन अलग-अलग मौकों पर ईडी के समक्ष हाजिर होने के लिए भारत लौटने से मना कर दिया। इसके बाद उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। जेटली का यह बयान ऐसे समय में आया है जब विदेश मंत्रालय ने माल्या के राजनयिक पासपोर्ट को चार सप्ताह के लिए निलंबित किया है। जेटली ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि माल्या मामले का सरकार से लेना-देना है। उनके कई मामले अदालतों में लंबित हैं। जब माल्या भारत में थे तो बैकिंग क्षेत्र से उन्हें पता चला कि लगभग हर वसूली, हर कदम को अदालत में चुनौती दी गई है। रवानगी के दिन तक उद्योगपति ने कानूनी प्रक्रिया का इस्तेमाल किया।
मौजूदा नियमों के तहत कोई संसद सदस्य अगर दिवालिया घोषित होता है तो सदस्यता समाप्त हो सकती है। इसके लिए बैंक्रप्सी कानून जरूरी है।
वीजा फीस वृद्धि मामले पर दुहाई
अमेरिका ने वीजा फीस वृद्धि मामले में कानून की दुहाई दी है। उसने भारत से कहा है कि इस मामले पर वह कानून से बंधा है। भारतीय आइटी कंपनियों को नुकसान पहुंचाने वाली इस बढ़ोतरी के मसले को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने द्विपक्षीय बैठक में मजबूती से उठाया था। जेटली ने मीडिया को बताया कि यहां दो मुद्दे हैं। एक तो हाल में वीजा फीस बढ़ोतरी का है। दूसरा आइटी पेशेवरों के लिए टोटलाइजेशन चार्ज का पुराना मामला है। इन पर अमेरिका का कहना है कि उनके कानून में यही प्रावधान किए गए हैं। इसलिए जब तक कानून नहीं बदलता है तब तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी।