.तो मोबाइल फोन होगा सस्ता, लेकिन बात करना पड़ेगा महंगा!
एक ओर मोबाइल फोन को सस्ता करने की कवायद चल रही है वहीं फोन पर बात करना महंगा होने वाला है। ऐसे में ग्राहकों को यह समझ नहीं आ रहा कि उनका फायदा होने वाला है या नुकसान। अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने स्मार्टफोन को सस्ता करने के लिए कदम उठाए हैं। लेकिन कई मोबाइल कंपनियों ने स्पष्ट कर दिया कि
By Edited By: Updated: Tue, 18 Feb 2014 08:13 AM (IST)
नई दिल्ली। एक ओर मोबाइल फोन को सस्ता करने की कवायद चल रही है वहीं फोन पर बात करना महंगा होने वाला है। ऐसे में ग्राहकों को यह समझ नहीं आ रहा कि उनका फायदा होने वाला है या नुकसान। अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने स्मार्टफोन को सस्ता करने के लिए कदम उठाए हैं। लेकिन कई मोबाइल कंपनियों ने स्पष्ट कर दिया कि मोबाइल फोन शुल्क बढ़ने वाले हैं। आने वाले दिनों में ग्राहकों को दी जा रही विभिन्न छूट और रियायतों में कटौती की जाएगी।
दूरसंचार कंपनियों ने हाल ही में नीलामी में ऊंची बोली लगाकर स्पेक्ट्रम खरीदा है जिसे शुल्क दरों में संभावित वृद्धि का एक कारण बताया जा रहा है। पढ़ें : कॉल करना पड़ सकता है महंगा! 10 दिनों में 61 हजार करोड़ की बोली वोडाफोन के सीईओ मार्टिन पीटर्स ने कहा कि दूरसंचार उद्योग के लिए समय आ गया है कि जब उसे अपने आपको कारोबार में बनाये रखने के लिए हर साल शुल्क बढ़ाने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि कई अन्य कारकों के साथ हाल ही की स्पेक्ट्रम नीलामी से अगले कुछ वर्षो में मोबाइल दूरसंचार उद्योग की स्थिति खराब होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि यह उद्योग 2010 की नीलामी में हुई ज्यादती से ही नहीं उबर पाया है।
पढ़ें : .आखिर इनके पास कैसे पहुंचता है आपका मोबाइल नंबर? वोडाफोन इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी पीटर्स ने कहा है कि 18 साल तक हमने शुल्क घटाया, ऐसा हमेशा नहीं रह सकता। हमारा मानना है कि अब समय आ गया है कि जब लागत के आधार पर हर साल शुल्क बढ़ाया जाना चाहिए। हाल में हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में सरकार को 61,162 करोड़ रूपए मिलेंगे जो सरकार के लक्ष्य से अधिक है। नीलामी में आठ दूरसंचार कंपनियों ने भाग लिया और बोली लगाने वाली प्रमुख कंपनियों में वोडाफोन, भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और आइडिया सेल्यूलर रहे।
पढ़ें : नई सरकार बनते ही हो 3जी स्पेक्ट्रम नीलामी पीटर्स ने कहा उद्योग अभी 2010 की नीलामी में की गई अति से नहीं उबरा है और इस नीलामी को अन्य के साथ मिला दिया जाए तो आशंका है कि अगले कुछ साल में उद्योग की स्थिति खराब रहेगी। दूरसंचार कंपनियां ग्राहकों को टॉकटाइम आदि के रूप में दी जा रही छूटों में कटौती कर रही हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यह रकम जारी रहेगा क्योंकि उन्हें ताजा स्पेक्ट्रम खरीद के लिए भुगतान करना है। भारती एयरटेल इंडिया के संयुक्त प्रबंध निदेशक गोपाल विट्टल ने दिसंबर तिमाही के परिणाम के बाद कहा था कि छूटशुदा मिनटों में कमी तथा कॉल दर में चरणबद्ध बढोतरी की गुंजाइश है। सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन एस मैथ्यू ने कहा था कि शुल्क दरों में वृद्धि के बारे में अभी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगा लेकिन डेटा शुल्क दर बढाने तथा छूटों में कटौती करने का दबाव होगा