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कोयला खदानों का निजीकरण नहीं

केंद्र सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि वह कोयला खदानों का निजीकरण करने नहीं जा रही है। सरकार ने विपक्ष के विरोध के बीच बुधवार को कोयला खदान (विशेष प्रावधान) विधेयक-2014 लोक सभा में पेश किया। यह विधेयक न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रद कोयला ब्लॉकों

By Manoj YadavEdited By: Updated: Wed, 10 Dec 2014 08:51 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि वह कोयला खदानों का निजीकरण करने नहीं जा रही है। सरकार ने विपक्ष के विरोध के बीच बुधवार को कोयला खदान (विशेष प्रावधान) विधेयक-2014 लोक सभा में पेश किया। यह विधेयक न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रद कोयला ब्लॉकों को फिर से नीलाम करने का रास्ता साफ करेगा, बल्कि कोयला क्षेत्र में कई सुधार भी करेगा। यह विधेयक उस अध्यादेश की जगह लेगा जो 204 कोयला ब्लॉक आवंटन रद करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जारी किया गया था।

लोक सभा में विधेयक पेश करते हुए कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज किया कि सरकार किसी भी तरह से कोयला खदानों का निजीकरण करने की मंशा रखती है। गोयल जब विधेयक पेश करने के लिए उठे तो तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों ने इसका विरोध किया। टीएमसी के सौगत राय ने कहा कि वह सदन की कार्यवाही के नियम 72 (1) के तहत इस विधेयक को पेश करने का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इससे कोयला खदानों के निजीकरण का रास्ता खुल जाएगा, जिन्हें 1973 में राष्ट्रीयकृत किया गया था। माकपा के मोहम्मद सलीम ने भी विधेयक पेश किए जाने का विरोध किया।

गोयल ने विपक्षी सदस्यों की शंकाओं को दूर करते हुए कहा कि सरकार यह विधेयक 24 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद लेकर आई है। उस दिन अदालत ने 204 कोयला ब्लॉॅकों का आवंटन रद कर दिया था। जिन 42 कोयला खदानों से उत्पादन हो रहा है, उन्हें रद करने का आदेश 31 मार्च 2015 से लागू होगा जबकि बाकी खदानों के संबंध में यह तत्काल लागू हो गया। उस समय ऐसी आशंका थी कि कोयला उत्पादन ठप होने से देश में बिजली की किल्लत हो सकती है। लाखों लोगों के बेरोजगार होने के साथ ही बैंकों ने जो अरबों रुपये कर्ज दिए थे, उसके भी एनपीए में बदल जाने की आशंका थी। ऐसे में सरकार ने सक्रिय कदम उठाते हुए एक अध्यादेश जारी करने का फैसला किया। इसलिए यह विधेयक किसी भी तरह कोयला खदानों के निजीकरण के लिए नहीं है।