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सिम ब्लॉक करा नेट बैंकिंग से निकाले साढ़े 14 लाख रूपए

पहले सिम ब्लॉक कराया फिर नया सिम इश्यू करा इंटरनेट बैंकिंग से गृह मंत्रलय के एक रिटायर्ड अधिकारी को 14 लाख 51 हजार रुपये की चपत लगा दी। शातिरों ने 15 मार्च को कुछ घंटे के भीतर इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया। कुछ घंटे में ही सिम ब्लॉक कराने के बाद नया सिम इश्यू करा लिया। पुलिस अब बैंक व मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर की जांच करेगी।

By Edited By: Updated: Mon, 17 Mar 2014 10:05 AM (IST)
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संवाददाता, नोएडा। पहले सिम ब्लॉक कराया फिर नया सिम इश्यू करा इंटरनेट बैंकिंग से गृह मंत्रलय के एक रिटायर्ड अधिकारी को 14 लाख 51 हजार रुपये की चपत लगा दी। शातिरों ने 15 मार्च को कुछ घंटे के भीतर इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया। कुछ घंटे में ही सिम ब्लॉक कराने के बाद नया सिम इश्यू करा लिया। पुलिस अब बैंक व मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर की जांच करेगी। साइबर सेल बैंक डिटेल व सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा कर रही है।

सेक्टर- 31 के रहने वाले नरेश चंद गृह मंत्रलय के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। उनका अकाउंट सेक्टर-18 स्थित यूनियन बैंक में है। 13 मार्च को इनका मोबाइल अचानक बंद हो गया। बाद में जब सर्विस प्रोवाइडर के कस्टमर केयर पर बात की तब पता चला कि किसी दूसरे व्यक्ति ने उनके नाम पते पर सिम ब्लॉक करा लिया। फिर नया सिम भी इश्यू करा लिया। इसके बाद नए सिम से शातिर ने नेट बैंकिग से पैसे निकाल लिए।

बैंक व मोबाइल कंपनी की लापरवाही

इस मामले में बैंक व मोबाइल कंपनी दोनों की लापरवाही उजागर हुई है। सिम ब्लॉक कराने व इश्यू कराने के दौरान डॉक्यूमेंट की जांच नहीं की गई। इसमें शातिरों ने गलत वोटर आइडी व फोटो का इस्तेमाल किया गया। इंटरनेट बैंकिंग में इस्तेमाल आने वाले यूजर आइडी व अन्य डिटेल के लिए बैंक जिम्मेदार है।

ओटीपी लेकर कर दिया खेल

इंटरनेट बैंकिंग फ्रॉड में मोबाइल नंबर का सबसे महत्वपूर्ण रोल होता है। इस मामले में भी शातिरों ने सिम इश्यू कराकर ही खेल किया। सिम इश्यू कराने के बाद जब शातिर ट्रांजेक्शन करने लगे तब इसी सिम पर ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) नंबर आया। इसके बाद आसानी से साढ़े 14 लाख ट्रांजेक्शन कर लिए।

इंजीनियर के खाते से निकाले 80 हजार

एक सरकारी विभाग के इंजीनियर के खाते से शातिरों ने अस्सी हजार रुपये निकाल लिए। एक घंटे के दौरान सात बार में इस रकम का ट्रांजेक्शन दूसरे के खाते में कर दिया गया। जब एसएमएस से इंजीनियर को इसकी जानकारी हुई तब उन्होंने बैंक को सूचना दी और साइबर सेल नोएडा को शिकायत दी। साइबर सेल के अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं। सेक्टर-62 में रहने वाले श्यामलाल केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में इंजीनियर हैं। उनका अकाउंट सेक्टर-62 स्थित भारतीय स्टेट बैंक में है। 13 मार्च की रात साढ़े 11 बजे से साढ़े 12 बजे के बीच गुड़गांव व पानीपत से अस्सी हजार रुपये का ट्रांजेक्शन किया गया। चालीस हजार रुपये गुड़गांव से निकाले और इतना ही रकम पानीपत से। अगले दिन श्यामलाल को इसकी जानकारी हुई। यह पैसे तब निकाले गए जब एटीएम कार्ड इंजीनियर के पास ही था। मिली जानकारी के अनुसार इंजीनियर श्यामलाल ने घटना के एक दिन पहले शिप्रा सन सिटी के पास से एक एटीएम से पैसे निकाले थे।