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महंगे प्याज ने बिगाड़ा सस्ते कर्ज का गणित

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अगर त्योहारी सीजन में रिजर्व बैंक [आरबीआइ] कर्ज सस्ता नहीं कर पा रहा तो इसका पूरा ठीकरा महंगे प्याज के सिर फोड़ा जाना चाहिए। इस साल सितंबर में प्याज की थोक कीमतों में 323 फीसद की वृद्धि ने महंगाई की दर को लगातार तीसरे महीने बढ़ाकर सात माह के ऊंचे स्तर 6.46 फीसद के स्तर पर पहुंचा दिया है। खुदरा मूल्यों वाली महंग

By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अगर त्योहारी सीजन में रिजर्व बैंक [आरबीआइ] कर्ज सस्ता नहीं कर पा रहा तो इसका पूरा ठीकरा महंगे प्याज के सिर फोड़ा जाना चाहिए। इस साल सितंबर में प्याज की थोक कीमतों में 323 फीसद की वृद्धि ने महंगाई की दर को लगातार तीसरे महीने बढ़ाकर सात माह के ऊंचे स्तर 6.46 फीसद के स्तर पर पहुंचा दिया है। खुदरा मूल्यों वाली महंगाई दर भी बढ़कर 9.84 फीसद हो गई है। इसके साथ ही यह साफ हो गया है कि महंगाई को काबू करने की कोशिश में ब्याज दरों में राहत मिलने वाली नहीं है। आरबीआइ इस महीने के अंत में मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा पेश करेगा।

सरकार की ओर से सोमवार को खुदरा और थोक मूल्यों के आंकड़े जारी किए गए। इनके मुताबिक दोनों तरह की महंगाई में बढ़ोतरी हो रही है। अगस्त, 2013 में थोक मूल्य आधारित महंगाई की दर 6.1 फीसद और जुलाई में 5.79 फीसद थी। इसी तरह अगस्त में खुदरा महंगाई दर 9.52 फीसद थी।

दरअसल, इस महंगाई के बढ़ने में खाद्य उत्पादों ने सबसे अहम भूमिका निभाई है। इनकी कीमतों में इस महीने 18.40 फीसद की वृद्धि हुई है। अगस्त, 2013 में इसकी वृद्धि दर 18.18 फीसद रही थी। खाद्य उत्पादों की कीमतों को बढ़ाने में प्याज ने सबसे ज्यादा आग लगाई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस महीने प्याज की थोक कीमतों में 322.94 फीसद का इजाफा हुआ। सब्जियों के दामों में 89.37 फीसद की वृद्धि हुई है। प्याज के दाम इतने तेज नहीं बढ़ते तो महंगाई दर भी इस तरह से नहीं भागती।

विशेषज्ञों की मानें तो थोक मूल्यों पर आधारित खाद्य उत्पादों की महंगाई दर में अक्टूबर में भी कोई खास कमी होने की संभावना नहीं है। प्याज व सब्जियों की कीमतें अभी आसमान पर हैं। खाद्य उत्पादों की आपूर्ति की स्थिति को सुधारने संबंधी सरकार के सारे प्रयास विफल हो गए हैं। नवंबर, 2013 के बाद ही महंगाई में राहत की उम्मीद है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी स्वीकार किया है कि महंगाई के इस तेवर को संतोषजनक नहीं कहा जा सकता। यह दर खासी ज्यादा है। हालांकि उन्होंने फिर दावा किया कि महंगाई कम करने की सरकारी कोशिशें जल्द सफल होंगी। रिजर्व बैंक बीते तीन वर्षो से महंगाई की दर को पांच फीसद के आसपास स्थिर रखने की कोशिश कर रहा है, हालांकि अब तक वह इसमें नाकाम रहा है।