डेढ़ महीने में डीजीसीए को कसने होंगे ढीले पेंच
फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने विमानन सुरक्षा के ढीले पेंच कसने के लिए भारत को डेढ़ महीने का समय दिया है। इस अवधि में विमानन महानिदेशालय को उड़ानों की सुरक्षा (एयरवर्दीनेस) जांचने की अपनी मशीनरी दुरुस्त करनी होगी। अन्यथा भारत की एविएशन सिक्यूरिटी रेटिंग कम की जा सकती है। अमेरिकी
By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
नई दिल्ली, [जागरण ब्यूरो]। फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने विमानन सुरक्षा के ढीले पेंच कसने के लिए भारत को डेढ़ महीने का समय दिया है। इस अवधि में विमानन महानिदेशालय को उड़ानों की सुरक्षा (एयरवर्दीनेस) जांचने की अपनी मशीनरी दुरुस्त करनी होगी। अन्यथा भारत की एविएशन सिक्यूरिटी रेटिंग कम की जा सकती है।
अमेरिकी एफएए की टीम ने हाल ही में भारत दौरा कर यहां हवाई अड्डों में सुरक्षा इंतजामों और विमानों के एयरवर्दीनेस का ऑडिट पूरा किया है। इस दौरान वैसे तो ज्यादातर चीजें दुरुस्त पाई गई, लेकिन जेट एयरवेज और एयर इंडिया के मरम्मत कराए गए विमानों के एयरवर्दीनेस में कुछ खामियां पाई गई। हवाई अड्डों में खासकर पटना एयरपोर्ट को बड़े विमानों की उड़ानों के लायक नहीं पाया गया। एफएए ने यहां हवाई पट्टी की लंबाई-चौड़ाई को बड़े विमानों के लिहाज से नाकाफी पाया है। साथ ही हैरानी जताई है कि बिना लाइसेंस के इस एयरपोर्ट से उड़ाने कैसे संचालित हो रही हैं। गौरतलब है कि पटना एयरपोर्ट को लेकर डीजीसीए कई मर्तबा बिहार सरकार को आगाह कर चुका है। उसने राज्य सरकार को दो विकल्प दिए हैं। या तो मौजूदा एयरपोर्ट पर हवाई पट्टी बढ़ाने के लिए अतिरिक्त जमीन उपलब्ध कराई जाए, अथवा नई जगह पर एयरपोर्ट बनाने के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए। एफएए की इस नाराजगी के बाद डीजीसीए ने एक बार फिर राज्य सरकार को इस बारे में आगाह किया है। दूसरी ओर जेट एयरवेज और एयर इंडिया के विमानों के एयरवर्दीनेस को लेकर भी एफएए ने चेतावनी दी है। एफएए के मुताबिक इन एयरलाइनों के वे विमान उड़ान के लिहाज से पूरी तरह फिट नहीं हैं जिनकी मरम्मत कराई गई है। एफएए ने इनको दिए गए एयरवर्दीनेस सर्टिफिकेट पर संदेह जताते हुए इनकी जांच करने वाले इंस्पेक्टरों की काबिलियत पर सवाल उठाया है। उसने डीजीसीए से कहा है कि निचले स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के बजाय उसे नए काबिल अधिकारियों की नियुक्ति करनी चाहिए। बहरहाल, हकीकत यह है कि मौजूदा वेतन और सेवा शर्तो पर डीजीसीए को योग्य इंस्पेक्टर नहीं मिल नहीं रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह डीजीसीए पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएसएसी) के वेतन संबंधी नियम-कायदे लागू होना है। लिहाजा सिविल एविएशन अथॉरिटी (सीएए) बनने का इंतजार किया जा रहा है जो डीजीसीए का स्थान लेगा। इस संबंध में विधेयक संसद में पेश किया जा चुका है और इस समय यह संसद की स्थायी समिति के विचाराधीन है। उम्मीद है कि शीतकालीन सत्र या बजट सत्र में यह कानून पारित हो जाएगा। तब तक डीजीसीए को मौजूदा इंस्पेक्टरों को ही एफएए के दिशानिर्देशन में प्रशिक्षित कर काबिल बनाना पड़ेगा। इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री कार्यालय ने डीजीसीए प्रमुख अरुण मिश्रा का कार्यकाल एक साल के लिए और बढ़ा दिया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मिश्रा डीजीसीए प्रमुख बनने से पहले संयुक्त राष्ट्र के इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (आइसीएओ) में भारत के प्रतिनिधि थे।