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सस्ते डीजल का लाभ रेल यात्रियों को नहीं

भले ही पिछले छह महीनों में डीजल के दाम घटे हों, लेकिन रेल यात्रियों को इसका फायदा मिलने वाला नहीं है। रेलवे का किराया-भाड़ा घटाने का फिलहाल कोई इरादा नहीं हैं। वजह यह है कि डीजल की कीमत तो कम हुई है, बिजली की दरें बढ़ गई हैं। रेलवे 60

By Rajesh NiranjanEdited By: Updated: Tue, 23 Dec 2014 06:19 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भले ही पिछले छह महीनों में डीजल के दाम घटे हों, लेकिन रेल यात्रियों को इसका फायदा मिलने वाला नहीं है। रेलवे का किराया-भाड़ा घटाने का फिलहाल कोई इरादा नहीं हैं। वजह यह है कि डीजल की कीमत तो कम हुई है, बिजली की दरें बढ़ गई हैं। रेलवे 60 फीसद डीजल और 40 फीसद बिजली का इस्तेमाल करता है। लिहाजा बात लगभग बराबर हो गई है। ईंधन समायोजन घटक (एफएसी) के तहत रेलवे हर छह महीने में ईंधन कीमतों के मुताबिक किराये-भाड़े में बदलाव करता है।

पिछला समायोजन जून में हुआ था। तब किराये में 4.2 व माल भाड़े में 1.4 फीसद की बढ़ोतरी की गई थी। अगला समायोजना दिसंबर में होना था। इसे फरवरी में पेश होने वाले रेल बजट के लिए टाल दिया गया है। इसकी घोषणाएं एक अप्रैल से लागू होती हैं। सोमवार को पत्रकारों के साथ बातचीत में रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे में बड़े बदलाव की बात कही। प्रभु के मुताबिक, 'डीजल के दाम कुछ घटे जरूर हैं, लेकिन पूरे साल ऐसा नहीं हुआ है। यात्री अब भी फायदे में हैं, क्योंकि किराया दरें लागत से कम हैं। इस यात्री यातायात में घाटे की भरपायी माल परिवहन से की जा रही है। रेलवे की आय में माल ढुलाई का हिस्सा दो तिहाई है, जबकि यात्री यातायात से केवल एक तिहाई कमाई होती है।' प्रभु ने कहा कि रेलवे की माली हालत ठीक नहीं है। इसे सुधारने के लिए आय के नए स्रोत तलाशने होंगे। अनावश्यक खर्चों पर अंकुश लगाना होगा। आमदनी के नए उपाय तो बजट में घोषित किए जाएंगे, मगर खर्च घटाने पर काम शुरू हो गया है। इसके तहत रेलवे में ऊर्जा की खपत का ऑडिट कराया जा रहा है। सौर व पवन ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। रेलवे विशाल प्रतिष्ठान है।

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