आरबीआइ ने ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) ने मंगलवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी की जिसमें ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करते हुए आठ फीसद पर स्थिर रखा। आरबीआइ ने कहा कि इन्फ्लेशन को देखते हुए आगे की पॉलिसी तय की जाएगी।
By Edited By: Updated: Tue, 30 Sep 2014 12:40 PM (IST)
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) ने मंगलवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी की जिसमें ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करते हुए आठ फीसद पर स्थिर रखा। सीआरआर और एसएलआर में भी कोई परिवर्तन नहीं किया। वृद्धि अनुमान को भी 5.5 फीसद के पूर्व स्तर पर बनाए रखा। आरबीआइ ने कहा कि इन्फ्लेशन को देखते हुए आगे की पॉलिसी तय की जाएगी।
पहले से ही यह उम्मीद जताई जा रही थी कि समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बेहद कम है। थोक महंगाई दर भले चार फीसद से नीचे हो, मगर खुदरा वाली दर के सात फीसद से ऊपर रहने, मानसून में कमी व अंतरराष्ट्रीय हालात में अस्थिरता की वजह से शायद ही आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन दरों को घटाने का फैसला करें। देश के तमाम बैंकर और आर्थिक मामलों की सलाहकार एजेंसियां भी मान रही थी कि कर्ज के सस्ता होने में अभी कुछ महीने का समय और लग सकता है। वैसे, वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को घटाकर बैंकों को ज्यादा फंड जुटाने की कोशिश गवर्नर इस बार भी जारी रखा जा सकता है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी केयर की रिपोर्ट के मुताबिक ब्याज दरों को लेकर केंद्रीय बैंक अभी भी मुतमुइन नहीं है। खास तौर पर देश के कई हिस्सों में मानसून के सामान्य से कम रहने का क्या असर होगा, इसका हिसाब किताब नहीं लग पाया है। वैसे, मानसून ने अंत में अपनी स्थिति सुधारी है लेकिन फिर भी कई हिस्सों में फसलों पर असर पड़ा है। वैसे भी आरबीआइ गर्वनर पहले ही यह साफ कर चुके थे कि वह नहीं चाहते कि ब्याज दरों को घटाया जाए और फिर कुछ महीनों बाद इसमें इजाफा किया जाए। ऐसे में आरबीआइ कुछ महीने और इंतजार कर करेगा। भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुधंति भंट्टाचार्य ने भी कुछ ऐसी ही उम्मीद जताई थी कि अभी कर्ज सस्ता होने की गुंजाइश कम है। महंगाई के ताजा आंकड़े देखें तो वे निश्चित तौर पर गिरावट का रुझान दिखा रहे हैं।
अगस्त, 2014 में थोक मूल्य आधारित महंगाई की दर 3.74 फीसद थी, जो पिछले दो वर्षो का सबसे न्यूनतम स्तर है। खुदरा महंगाई के आंकड़े (7.8 फीसद) बताते हैं कि इनमें कमी आई है। केंद्रीय बैंक ने मार्च, 2015 तक खुदरा महंगाई को आठ और मार्च, 2016 तक इसे घटाकर छह फीसद पर लाने का लक्ष्य रखा है। जिस हिसाब से हाल के दिनों में जिंसों की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है उससे लगता है कि आरबीआइ निर्धारित अवधि से पहले ही यह लक्ष्य हासिल कर सकता है। पढ़े: अर्थव्यवस्था को ऊंची विकास दर पर ले जाएगी सरकार: मोदी