खाद्य सुरक्षा ंिवधेयक से आम जनता को कितना फायदा होता है यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन इसकी वजह से देश के वित्तीय बाजार में कोहराम मच गया। इस विधेयक से केंद्र सरकार की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति के और चरमराने की आशंका से मंगलवार को मुद्रा बाजार और शेयर बाजार में भारी अनिश्चितता छा गई। डॉलर के मुकाबले रुपया अभी तक के रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर 66.30 के स्तर पर पहुंच गया। बाद में यह 1.
By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा ंिवधेयक से आम जनता को कितना फायदा होता है यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन इसकी वजह से देश के वित्तीय बाजार में कोहराम मच गया। इस विधेयक से केंद्र सरकार की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति के और चरमराने की आशंका से मंगलवार को मुद्रा बाजार और शेयर बाजार में भारी अनिश्चितता छा गई। डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर 66.30 के स्तर पर पहुंच गया। बाद में यह 1.94 रुपये (तीन फीसद) की गिरावट के साथ 66.25 के स्तर पर बंद हुआ। रुपये के इस तेवर से शेयर बाजार भी दिन पर कांपता रहा। बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स 590 अंकों की गिरावट के साथ 17968.08 अंक पर बंद हुआ।
पढ़ें: कमजोर रुपये की मार से बढ़ेंगे डीजल के दाम रुपये की इस रिकॉर्ड गिरावट से साफ है कि देश के वित्तीय बाजार को न तो सरकार की तरफ से आर्थिक दशा को सुधारने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर एतबार है, और न ही वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के आश्वासन पर। पिछले दो कारोबारी दिनों के दौरान मुद्रा व शेयर बाजार ने जो थोड़ी बहुत उम्मीद जताई थी, वह खाद्य सुरक्षा विधेयक के लोकसभा से पारित होते ही काफूर हो गई। मंगलवार को वित्त मंत्री ने दो बार राजकोषीय घाटे और चालू खाते के घाटे को पूर्व निर्धारित स्तर पर रखने का भरोसा दिलाया।
पढ़ें: रुपये और प्याज की ये कैसी दोस्ती मगर इसका कोई असर न तो रुपये की चाल पर दिखा और न ही शेयर बाजार के माहौल पर। रुपये ने पिछले हफ्ते 22 अगस्त को ही नई तलहटी 65.56 का रिकॉर्ड बनाया था। मंगलवार को इसने एक दिन में सबसे ज्यादा गिरावट का नया रिकॉर्ड बनाया। जानकार अब इसके 68 तक आसानी से पहुंच जाने की बात कहने लगे हैं। मुद्रा बाजार और शेयर बाजार में मचे इस कोहराम के लिए बहुत हद तक सस्ते खाने के कानूनी अधिकार दिए जाने संबंधी विधेयक को दिया जा रहा है। इससे सरकार पर 1.30 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ने की बात कही जा रही है। इसकी वजह से सरकार के लिए चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को 4.8 फीसद के स्तर पर रखने में दिक्कत आने की आशंका जताई जा रही है। इसके साथ ही कच्चे तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में 111 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है। यह भी देश के राजकोषीय घाटे पर असर डालेगा।
मगर इससे भी ज्यादा वित्तीय बाजार को यह लग रहा है कि अब सरकार व रिजर्व बैंक के हाथ में बहुत कुछ नहीं है। यही वजह है कि सरकार की तरफ से जैसे ही स्थिति को संभालने की कोशिश होती है, बाजार उससे ज्यादा तेजी से गिरता है। इस डर से इतना लुढ़का रुपया 1. अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार से निवेशकों के बाहर जाने की आशंका। 2. कच्चा तेल महंगा होने से तेल कंपनियों ने डॉलर की मांग बढ़ाई। 3. सरकारी घोषणाओं के बावजूद बड़े विदेशी निवेशकों में उत्साह की कमी। 4. रेटिंग एजेंसियों की चेतावनी, घटा सकते हैं रेटिंग। 5. रिजर्व बैंक अब बाजार में ज्यादा डॉलर झोंकने की स्थिति में नहीं। बाजार में गिरावट की वजहें 1. खाद्य सुरक्षा कानून से बढ़ेगा देश के खजाने पर बोझ। 2. पहली तिमाही में विकास दर के पांच फीसद से भी नीचे रहने की संभावना। 3. कच्चे तेल की कीमतों में फिर बढ़ोतरी। 4. सीरिया पर अमेरिका व ब्रिटेन के हमले की संभावना। 5. औद्योगिक मंदी के लंबा खींचने के आसार।