सहारा निवेशकों की खोज में सेबी की तिजोरी खाली
सहारा समूह के वास्तविक निवेशकों की पहचान करने के लिए बाजार नियामक सेबी जितने बड़े पैमाने पर काम कर रहा है, उससे निवेशक भले मिल जाएं लेकिन सेबी का खजाना खाली होना तय है। नियामक के लिए यह काम काफी महंगा साबित हो रहा है। चालू वित्त वर्ष में ही इस कवायद में 60 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। जबकि यह काम अगले वित्त वर्ष में भी जारी रहने के आसार हैं।
By Edited By: Updated: Sat, 15 Mar 2014 12:15 AM (IST)
नई दिल्ली। सहारा समूह के वास्तविक निवेशकों की पहचान करने के लिए बाजार नियामक सेबी जितने बड़े पैमाने पर काम कर रहा है, उससे निवेशक भले मिल जाएं लेकिन सेबी का खजाना खाली होना तय है। नियामक के लिए यह काम काफी महंगा साबित हो रहा है। चालू वित्त वर्ष में ही इस कवायद में 60 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। जबकि यह काम अगले वित्त वर्ष में भी जारी रहने के आसार हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सेबी सहारा समूह के निवेशकों को 15 फीसद ब्याज के साथ 24,000 करोड़ रुपये की रकम लौटाने के लिए दस्तावेजों की पड़ताल कर रहा है। कोर्ट ने सहारा को अगस्त, 2012 में यह दस्तावेज नियामक को सौंपने और निवेशकों की रकम वापस करने को कहा था। सहारा ने सेबी को 128 ट्रक दस्तावेज सौंपे हैं। सेबी का मानना है कि सहारा के दस्तावेजों का भंडारण खर्च वर्ष 2014-15 में और बढ़ जाएगा। समूह ने हाल ही में कुछ नए दस्तावेज जैसे संपत्तियों की टाइटल डीड भी सौंपे हैं। इन दस्तावेजों की स्कैनिंग कराने के कारण भी खर्च ज्यादा हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि निवेशकों की रकम लौटाने की प्रक्रिया पर खर्च होने वाली रकम भी सहारा से वसूली जाए। नियामक ने अब इस खर्च के लिए सहारा की ओर से जमा किए गए 5,120 करोड़ रुपये में से रकम काटने की इजाजत मांगी है। सेबी की ओर से सहारा मामले के लिए गठित किए गए स्पेशल एनफोर्समेंट सेल ने कहा है कि समूह ने बिना किसी जांच-पड़ताल के कूड़े की तरह दस्तावेज सेबी को सौंपे हैं। सेबी अब इन दस्तावेजों की स्कैनिंग करके कंप्यूटराइज्ड फाइलें बना रहा है। अब तक 70 टेराबाइट्स [करीब 20 करोड़ इमेज] की फाइलें बनाई जा चुकी हैं। इस काम में इतनी हार्ड डिस्क भर चुकी हैं कि इनमें तीन करोड़ गाने समा सकते हैं। सहारा समूह की प्रतिक्रिया
शाम को सहारा समूह ने बयान जारी कर कहा कि यह सेबी की ओर से शुरू किया गया बेहद दुर्भावनापूर्ण अभियान है। इसका साफ मकसद निवेशकों को लौटाने के लिए समूह की ओर से जमा कराए गए पैसों को खर्च कर डालना है। यही कारण है कि सेबी कह रहा है कि उसे कोई जमाकर्ता नहीं मिले, जबकि सहारा ने उसे जमा करने वालों का पूरा ब्योरा मुहैया कराया है।