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पायलटों और विमान टीम के लिए जरूरी सूचना, शराब पी तो नौकरी गई

पायलटों और विमान संचालन से जुड़ी टीम के सदस्यों को अब शराब सेवन से पहले दस बार सोचना पड़ेगा। इतना ही नहीं, उन्हें ऐसे किसी भी पदार्थ के सेवन से बचना होगा जिसमें रत्ती भर भी अल्कोहल हो। अल्कोहल की मामूली मात्रा भी उन्हें विमान में प्रवेश से वंचित कर सकती है।

By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

संजय सिंह, नई दिल्ली। पायलटों और विमान संचालन से जुड़ी टीम के सदस्यों को अब शराब सेवन से पहले दस बार सोचना पड़ेगा। इतना ही नहीं, उन्हें ऐसे किसी भी पदार्थ के सेवन से बचना होगा जिसमें रत्ती भर भी अल्कोहल हो। अल्कोहल की मामूली मात्रा भी उन्हें विमान में प्रवेश से वंचित कर सकती है।

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दरअसल, विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) पायलट व केबिन क्रू समेत विमान संचालन से जुड़े सभी कर्मचारियों, जिनमें विमान को पार्किंग में लगवाने वाला स्टाफ भी शामिल है, के लिए अल्कोहल उपभोग के नए नियम लागू करने की तैयारी कर रहा है। इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन की सलाह पर नए नियमों को अगले महीनों में लागू किया जा सकता है। इस संबंध में एयरलाइनों से टिप्पणियां मांगी गई हैं।

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प्रस्तावित नियमों के तहत अब प्रत्येक पायलट, क्रू मेंबर और टैक्सी स्टाफ (विमान को पार्किंग में लगवाने और वहां से रनवे के लिए निकलवाने वाले ग्रांउड स्टाफ) का उड़ान से पहले न केवल ब्रेथ एनालाइजर (सांस में अल्कोहल जांचने वाला उपकरण) टेस्ट किया जाएगा, बल्कि ऊपरी व जरूरी होने पर आंतरिक शारीरिक जांच भी की जाएगी। डॉक्टर देखेगा कि संबंधित कर्मचारी किसी भी स्तर पर नशे के प्रभाव में तो नहीं है। भले ही ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में अल्कोहल की मात्रा शून्य क्यों न आ रही हो। जरा भी संदेह होने पर व्यापक मेडिकल परीक्षण किया जाएगा। इसका मतलब हुआ कि यदि पायलट या क्रू मेंबर ने अल्कोहल वाला कफ सिरप, माउथ वाश या टूथ जेल भी इस्तेमाल किया है तो उसे उड़ान के लिए अनफिट करार दिया जा सकता है। जबकि ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट पॉजिटिव पाए जाने पर विदेशी पायलटों (फाटा) का लाइसेंस रद्द हो सकता है।

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देखने में आया है कि कई मर्तबा ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में अल्कोहल की मात्रा शून्य आने पर भी पायलट व क्रू मेंबर नशीली सुस्ती का शिकार होते हैं। ऐसा 'हैंगओवर' के कारण होता है। मौजूदा नियमों के अनुसार उड़ान के 12 घंटे पहले तक शराब पीना वर्जित है। इसलिए पायलट इस अवधि से पहले शराब का सेवन कर लेते हैं। मगर जब उड़ान के लिए पेश होते हैं तो हैंगओवर रहता है जिसे ब्रेथ एनालाइजर पकड़ नहीं पाता। डीजीसीए के अनुसार अल्कोहल की न्यूनतम मात्रा भी पायलट के निर्णय लेने की क्षमता और सोच पर असर डाल सकती है।

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वैसे, मेडिकल जांच के मामले में डीजीसीए एयरलाइनों को कुछ रियायत भी देने को तैयार है। इसके तहत अल्कोहल जांच के लिए डॉक्टर के बजाय प्रशिक्षित पैरा मेडिकल स्टाफ के इस्तेमाल की छूट दी जा सकती है। इससे एयरलाइनों में पैरा मेडिकल कर्मियों की नियुक्ति का नया रास्ता खुलने की संभावना है। वर्ष 2009 से लागू मौजूदा नियमों के अनुसार मेडिकल जांच केवल एमबीबीएस डॉक्टर ही कर सकता है। अगस्त में डीजीसीए ने हेलीकॉप्टर पायलटों की अल्कोहल जांच के लिए हेलीपैड पर डॉक्टरों की तैनाती के नियम लागू किए थे।