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सामूहिक निवेश स्कीमों में लगी नकदी पर रोक

बाजार नियामक सेबी ने सामूहिक निवेश योजनाओं [सीआइएस] में नकद निवेश पर पाबंदी लगा दी है। आम निवेशकों के हित में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड [सेबी] ने यह अहम कदम उठाया है। अब केवल चेक, बैंक ड्राफ्ट जैसे बैंकिंग चैनलों के जरिये ही इन योजनाओं में निवेश किया जा सकेगा। सेबी के इस कदम का फायदा आम निवेशकों तो मिलेगा ही, साथ ही इससे ऐसी स्कीमों के जरिये मनीलांड्रिंग की गतिविधियों पर भी रोक लगेगी। नियामक की ओर से जारी नए नियम गुरुवार से ही लागू हो गए हैं।

By Edited By: Updated: Thu, 09 Jan 2014 10:27 PM (IST)
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मुंबई। बाजार नियामक सेबी ने सामूहिक निवेश योजनाओं [सीआइएस] में नकद निवेश पर पाबंदी लगा दी है। आम निवेशकों के हित में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड [सेबी] ने यह अहम कदम उठाया है। अब केवल चेक, बैंक ड्राफ्ट जैसे बैंकिंग चैनलों के जरिये ही इन योजनाओं में निवेश किया जा सकेगा। सेबी के इस कदम का फायदा आम निवेशकों तो मिलेगा ही, साथ ही इससे ऐसी स्कीमों के जरिये मनीलांड्रिंग की गतिविधियों पर भी रोक लगेगी। नियामक की ओर से जारी नए नियम गुरुवार से ही लागू हो गए हैं।

सेबी के नए नियम निवेशकों को सारधा जैसे घोटालों का शिकार होने से बचाएंगे। इनसे सीआइएस के जरिये फंड जुटाने की गतिविधियों में पारदर्शिता आएगी। इसके साथ ही धन के स्त्रोत और ऐसी स्कीमों में पैसा लगाने वाले असल निवेशकों की भी आसानी से पहचान की जा सकेगी। हाल के वर्षो में बड़ी तादाद में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें भोले-भाले निवेशकों को गैरकानूनी सामूहिक निवेश योजनाओं के जरिये ठगा गया है। कई मामलों में तो ऐसी स्कीमों के संचालक नियामकों और कानून लागू कराने वाली एजेंसियों द्वारा पकड़े जाने पर निवेशकों को रकम लौटा देने का दावा कर बच निकलने की कोशिश करते हैं।

नियामक के इन नए नियमों को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड [सामूहिक निवेश स्कीम] संशोधन नियमन 2014 के रूप में जाना जाएगा। इसमें साफ-साफ कहा गया है, 'सामूहिक निवेश योजनाओं की यूनिटों के सब्सक्रिप्शन के बदले दी जाने वाली रकम का भुगतान केवल चेक, डिमांड ड्राफ्ट या किसी अन्य बैंकिंग चैनल के द्वारा ही किया जाएगा। इसके लिए किसी भी सूरत में नकद भुगतान नहीं किया जा सकेगा।' ऐसी किसी योजना को शुरू करने वाले व्यक्ति के लिए यह जरूरी होगा कि वह सामूहिक निवेश प्रबंधन कंपनी के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन करे। किसी दूसरे कानून के तहत नियंत्रित या प्रतिबंधित कोई अन्य स्कीम सीआइएस नहीं मानी जाएगी।

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सामूहिक निवेश प्रबंधन कंपनी को स्कीम के तहत जारी की जाने वाली यूनिटों के डीमैट [इलेक्ट्रॉनिक] रूप में रखने के लिए किसी डिपॉजिटरी के साथ करार करना होगा। इसके अलावा नियामक ने कहा है कि ऐसी कंपनी को केवाईसी [अपने ग्राहक को जानें] दिशानिर्देशों का भी पालन करना होगा। केंद्र सरकार की ओर से बीते साल सितंबर में दूसरी बार जारी अध्यादेश में व्यवस्था है कि 100 करोड़ या इससे ज्यादा की राशि वाली किसी भी स्कीम में फंड की पूलिंग को सीआइएस गतिविधि माना जाएगा।