Move to Jagran APP

कॉरपोरेट घोटाले रोकने को व्हिसिलब्लोअर तंत्र

देश में बढ़ते कॉरपोरेट घोटालों पर लगाम लगाने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी ने नई पहल की है। इसके तहत नियामक ने सभी लिस्टेड कंपनियों के लिए व्हिसिलब्लोअर तंत्र अनिवार्य बनाने का फैसला किया है। इस तंत्र के जरिये कर्मचारी व निदेशक घोटाले के अंजाम तक पहुंचने से पहले ही किसी भी गड़बड़ी की जानकारी दे सकेंगे। यह तं˜

By Edited By: Updated: Fri, 21 Feb 2014 12:29 AM (IST)
Hero Image

नई दिल्ली। देश में बढ़ते कॉरपोरेट घोटालों पर लगाम लगाने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी ने नई पहल की है। इसके तहत नियामक ने सभी लिस्टेड कंपनियों के लिए व्हिसिलब्लोअर तंत्र अनिवार्य बनाने का फैसला किया है। इस तंत्र के जरिये कर्मचारी व निदेशक घोटाले के अंजाम तक पहुंचने से पहले ही किसी भी गड़बड़ी की जानकारी दे सकेंगे। यह तंत्र जानकारी देने वाले कंपनी के ऐसे कर्मचारियों और निदेशकों को भी सुरक्षा मुहैया कराएगा।

नए कंपनी कानून के तहत भी अपने निदेशकों और कर्मचारियों के लिए एक सतर्कता तंत्र बनाने की बात कही गई है। इसी को देखते हुए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने नए कॉरपोरेट गवर्नेस कोड में इस संबंध में एक प्रावधान शामिल करने का फैसला किया है। सेबी का निदेशक मंडल पहले ही सूचीबद्ध [लिस्टेड] कंपनियों के लिए इस कोड को मंजूरी दे चुका है। नियामक जल्दी ही इसे लेकर अधिसूचना भी जारी कर देगा। व्हिसिलब्लोअर यानी पूर्व चेतावनी देने वाली यह व्यवस्था कई विकसित देशों में खासी लोकप्रिय है। यह तंत्र कर्मचारियों को कंपनी के भीतर होने वाली किसी भी गड़बड़ी की सूचना देने का मौका मुहैया कराता है। अब भी सूचीबद्ध कंपनियां प्रबंधन को किसी भी अनैतिक व्यवहार, धोखाधड़ी या अपनी आचार संहिता के उल्लंघन की सूचना प्रबंधन को देने के लिए एक तंत्र बना सकती हैं। उनके लिए व्हिसिलब्लोअर तंत्र बनाना अनिवार्य नहीं है। वर्ष 2009 के शुरू में सामने आए देश के सबसे बड़े घोटाले में आइटी कंपनी सत्यम कंप्यूटर्स में 14,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई थी। ऐसे किसी तंत्र के अभाव में कई सालों से चल रही यह धोखाधड़ी किसी की पकड़ में नहीं आई थी।

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में पेश हों सुब्रत राय

पढ़ें: आदर्श घोटाले में निलंगेकर को सीबीआइ की क्लीन चिट