महंगाई रोकना ही सबसे बड़ा काम
आम जनता को पिछले तीन-चार वर्षो से हलकान कर रही महंगाई पर काबू पाने की एक और कोशिश जल्द शुरू होने जा रही है। यह कोशिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार करेगी, जिसका खाका सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने अभिभाषण के दौरान पेश किया। महंगाई से लड़ने के लिए सरकार ने जो हथियार आजमाने की बात कही है, उनमें कु
नई दिल्ली। आम जनता को पिछले तीन-चार वर्षो से हलकान कर रही महंगाई पर काबू पाने की एक और कोशिश जल्द शुरू होने जा रही है। यह कोशिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार करेगी, जिसका खाका सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने अभिभाषण के दौरान पेश किया। महंगाई से लड़ने के लिए सरकार ने जो हथियार आजमाने की बात कही है, उनमें कुछ नया तो नहीं है, लेकिन इन्हें जमीनी तौर पर लागू कर निश्चित तौर पर लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा है कि खाद्य उत्पादों में महंगाई को रोकना सरकार की सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए विभिन्न कृषि व कृषि प्रसंस्करण उत्पादों की आपूर्ति को बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। सरकार खाद्य उत्पादों की कालाबाजारी और जमाखोरी को रोकने के लिए प्रभावशाली कदम उठाएगी। जन वितरण प्रणाली यानी पीडीएस को बेहतर बनाने के लिए इसमें बदलाव किया जाएगा। इस काम में राज्यों के अनुभवों की भी मदद ली जाएगी। इस वर्ष सूखे की स्थिति का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने अभी से आपात परिस्थितियों के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
मौसम विभाग का अनुमान है कि इस वर्ष भारत में मानसूनी बारिश सामान्य से कम रह सकती है। इसकी वजह से देश के कई हिस्सों में सूखे की स्थिति पैदा होने का खतरा है। कई बाहरी एजेंसियों ने भी इस बारे में आगाह किया है। बहरहाल, सरकार की तरफ से सूखे से निबटने की तैयारियों की स्वीकारोक्ति पर इंडिया इंक ने भी राहत की सांस ली है। उद्योग चैंबर फिक्की के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला का कहना है कि महंगाई पर नजर रखने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में एक टीम गठित बने, जो खाद्य आपूर्ति, उत्पादन की लगातार निगरानी करे। फिर इसके आधार पर अपनी रणनीति तैयार करे।
खाद्य उत्पादों की खुदरा महंगाई की दर अभी भी दस फीसद से ऊपर बनी हुई है, जबकि सभी उत्पादों को मिला कर खुदरा महंगाई की दर पिछले तीन महीनों के ऊंचे स्तर पर है। पिछले शनिवार को कैबिनेट सचिव अजीत सेठ की अध्यक्षता में सचिवों की एक उच्चस्तरीय बैठक भी हुई। इसमें महंगाई पर काबू पाने को लेकर विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा हुई है। वैसे महंगाई रोकने के अन्य उपायों भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के पुनर्गठन, विशेष कोष बनाने जैसी बातों का जिक्र राष्ट्रपति के अभिभाषण में नहीं हुआ। भाजपा के घोषणा पत्र में इनका जिक्र था।